भावी पीढ़ी को धर्मग्रंथों व संस्कार के महत्वों से अवगत कराना अतिआवश्यक: गोपाल शर्मा
नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का दो दिवसीय अभ्यास वर्ग रविवार को संपन्न हो गया। इस अभ्यास वर्ग का आयोजन राँची के धुर्वा स्थित YBN पब्लिक स्कूल में संचालित किया जा रहा था जिसमें राज्य भर से कार्यकर्ता शामिल हुए थे। इस अभ्यास वर्ग के समापन सत्र को आरएसएस के प्रान्त प्रचारक गोपाल शर्मा ने संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पिछले एक हजार वर्षों से भारतीय सनातन संस्कृति को बचाने में परिवार, कुटुम्ब, ऋषि मुनियों और सांस्कृतिक मूल्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
शिक्षा के महत्व की चर्चा करते हुए उन्होंने शिक्षकों से कहा कि भावी पीढ़ी को धर्मग्रंथों और संस्कार के महत्व से अवगत कराना आवश्यक है। यह देश आज भी शास्वत खड़ा है तो इसके पीछे स्व की भावना का योगदान है। उन्होंने चिन्ता प्रकट करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति को समाप्त करने के लिए डिंक कल्चर को बढ़ावा देने का कार्य किया जा रहा है लेकिन इससे बाहर निकलने में स्व भावना एक बेहतर साधन साबित होगी। उन्होंने आगामी समय में 5 बातों पर जोर देने की कहा:-
ये पाँच बातें हैं निम्न है:-
कुटुंब व्यवस्था, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, नागरिक कर्तव्य और स्व का बोध।
इस कार्यक्रम में संघ के प्रांत कार्यवाहक संजय भी उपस्तिथ थे।
इस अभ्यास वर्ग के दूसरे दिन न्यास के क्षेत्रीय संयोजक डॉ. विजय कुमार सिंह (कुलसचिव एसबीयू) ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए न्यास के विषयों, कार्यों, आयामों और कार्यक्रमों से परिचित करवाया। उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पंच परिवर्तन की शुरुआत स्वयं से की जाए। स्वदेशी और आत्मनिर्भरता को अपनाकर स्व की भावना को बढ़ावा दिया जा सकता है।
इस कार्यक्रम योजना सत्र को संबोधित करते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रो सविता सेंगर (कुलपति, झारखण्ड राय विश्वविद्यालय,राँची) ने अभ्यास वर्ग में उपस्थित कार्यकर्ताओं से विस्तारपूर्वक कार्यक्रम योजना, उद्देश्य, आवश्यकता , क्रियान्वयन और सिंहावलोकन पर अपनी बातें रखीं। उन्होंने न्यास के विषयों , आयामों, दायित्व बोध पर भी अपनी बातें रखीं।
इस अभ्यास वर्ग के समापन अवसर पर धन्यवाद ज्ञापन करते हुए न्यास के प्रांत अध्यक्ष कुलपति प्रो० रमन कुमार झा ने कहा कि शिक्षक के कंधों पर जिम्मेदारी है। शिक्षा तो हम शिक्षकों के जरिए ही जाएगी इसके लिए सामूहिक प्रयास भी आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि भागना आसान है लेकिन मिलकर लड़ना जरूरी है। न्यास आज एक ऐसा मंच बन चुका है जो शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव का सूचक है। भारतीय ज्ञान और परंपरा के साथ शिक्षा का भारतीय करण भी इसमें शामिल है।
इस दौरान समापन के अवसर पर विशिष्ट रुप से वाई बी एन विश्वविद्यालय के चैयरमैन रामजी यादव, झारखण्ड राय विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो पीयूष रंजन, पूर्व कुलपति प्रो ए के श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम का संचालन न्यास के प्रान्त संयोजक अमरकान्त झा ने किया ।