रिपोर्ट : नितीश मिश्र
राँची(खबर_आजतक): झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष सह राज्यसभा सदस्य शिबू सोरेन ने गुरुवार को केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखा है। उन्होंने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से आग्रह किया है कि झारखंड सरकार से परामर्श लेकर बांग्ला भाषा निवासी स्थानों को चिन्हित कर अविलंब जनजातीय भाषाओं के साथ बांग्ला भाषा का भी प्रयोग अनिवार्य किया जाए।झामुमो के अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन पत्र के पत्राचार कर कहा है कि झारखंड के सभी रेल स्टेशन एवं हॉल्ट में नाम पट्टिकाओं में अंग्रेजी, हिन्दी, बांग्ला एवं कई विशेष स्थानों पर उड़िया शब्दों में स्थान का नाम लिखा होता था। संथाल भाषा के मान्यता के पश्चात संथाली भाषा में भी नामकरण किया जाने लगा। झारखंड के संथाल परगना, मानभूम सिंहभूम, धालभूम एवं पंचपरगना क्षेत्रों में बंग्लाभाषी लोगों की एक विशाल आबादी की संख्या है। इस पत्र में शिबू सोरेन ने लिखा है कि राज्य के पाकुड़, बडहवा, जामताड़ा, मिहिजाम, मधुपुर, जसीडीह, मैथन, कुमारधुबी, चिरकुंडा, कालुबथान, धनबाद, गोमो, पारसनाथ, हजारीबाग रोड मूरी, राँची, हटिया, चाकुलिया, गालूडीह, राखा माईन्स, टाटानगर, चांडील, कान्ड्रा, चक्रधरपुर, चाईबासा, बरकाकाना, राँची रोड, जैसे कई पुराने रेलवे स्टेशनों के नाम पट्टिकाओं में बांग्ला भाषा उल्लेखित रहता था। उन्होंने पत्राचार के माध्यम से कहा कि इस क्षेत्र से बांग्ला भाषा में लिखा नाम को मिटाया गया है, जो अत्यन्त अव्यवहारिक एवं दुर्भाग्यजनक है। इस इलाके के बांग्लाभाषी लोगों की नागरिकता मूलरुप से स्थायी है और वह झारखंड के मूलवासी हैं। झारखंड के मूलवासियों की जनभावना यह है कि वहाँ के निवासियों के स्थानों के नाम उस क्षेत्र के रेलवे स्टेशनों के नाम पट्टिकाओं पर उल्लेखित हो।