नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): श्री श्याम मन्दिर के भव्य दरबार में श्री श्याम मंडल द्वारा आयोजित महाशिवपुराण व्याख्यान के तीसरे दिन निर्धारित समय से पहले ही भक्तों की अपार भीड़ संपूर्ण वातावरण को शिव महामंत्र का जापकर शिवमय बना दिया तथा पूरे मन्दिर परिसर भोले शंकर के जयकारों से गूँज रहा था।
इस दौरान सांय 4 बजे स्वामी परिपूर्णनन्द जी के व्यास पीठ का पारम्परिक पूजन वन्दन के बाद स्वामी जी ने व्यख्यान को आगे बढ़ते हुए कहा कि प्राणवाक्षर सदाशिव ही पूर्ण ब्रह्म हैं – महाशिवरात्रि शिव के दिव्य स्वरूप का प्राकट्य दिवस है। अतः महाशिवरात्रि के शुभ दिन शिवलिंग का श्रृंगार – पूजन – वन्दन अत्यन्त श्रेष्ठकारी है। स्वामी परिपूर्णानन्द कहते हैं – शिव ही एकानन हैं – शिव ही पंचानन हैं और शिव ही गुरुपुराण हैं। संसार में अत्यंत सुलभ व अविनाशी देव शिव ही हैं अतः ॐ नमः शिवाय दिव्य मंत्र का निरंतर जाप अत्यन्त फलदाई है साथ ही भक्ति ज्ञान वैराग्य इन तीनों की प्राप्ति से ही जीवन रसमय ही सकता है तथा सत्संग ही प्रभु दर्शन का मार्ग है साथ ही शिवलिंग स्वरूप निराकर है। जिस पर शिव अनुग्रह करते हैं वो मोक्ष को प्राप्त करता है।
स्वामी परिपूर्णनन्द ने आगे व्याख्यान में बताया कि तीर्थ छेत्र में दान करने वालों को शिव जी पापों से मुक्ति देकर सभी बंधनों से मुक्त करते हैं – शिवजी के आंख से प्रगट रुद्राक्ष शिव जी को अत्यंत प्रिय है। महादेव श्रृष्टि का उत्पन करता – पालन करता एवम संघहार करता हैं – उनका स्वरूप निर्विकार है – ईश्वर सबमें अतन्र्यामी बनकर विद्यमान हैं। ईश्वर को प्रपंच, अहंकार पसंद नही है – ये सब छोड़कर उनकी शरण में जाते हैं उन्हें भक्ति पुरुष्कार में मिलती है।
इस दौरान महाशिवपुराण के व्याख्यान समाप्ति के बाद ज्योति बजाज एवं उनके परिवार के द्वारा शिवपुराण की महाआरती निवेदित की गई साथ ही प्रसाद वितरण के साथ गुरुवार के तृतीय दिवस का कार्यक्रम का समापन किया गया।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में विजय शंकर साबू, ज्ञान प्रकाश बागला, अमित जालान, गौरव शर्मा, सुमित महलका, राकेश सारस्वत, महेश शर्मा, सुनील मोदी, प्रदीप अग्रवाल, सुमित पोद्दार, विनोद शर्मा का योगदान रहा।