#नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): श्री श्याम मन्दिर के सुसज्जित प्रांगण में श्री श्याम मंडल द्वारा आयोजित महाशिवपुराण यज्ञ के पंचम दिवस शिव भक्तों का उत्साह एवं उमंग चरम पर था। इस दिन अपराह्न 4 बजे स्वामी परिपूर्णानन्द जी के व्यास पीठ पर विराजमान होने के पश्चात परम्परागत पूजन – वंदन होने के पश्चात स्वामी जी के श्रीमुख से शिवमहापुराण का व्याख्यान का पांचवा सोपान प्रारंभ किया। इस दौरान स्वामी परिपूर्णानन्द ने कहा कि शिव अविनाशी है – पूर्ण साकार एवं निराकार – सम्पूर्ण सृष्टि के रचिता हैं। इस दौरान शिव की अनुग्रह लीला का वर्णन करते हुए स्वामी परिपूर्णानन्द ने कहा कि वर्षा की बूंद कमल के फूल पर गिरते ही अनुपम छ्टा बिखेरती है, सिप के मुख में गिरते ही मोती बन जाती है और सर्प के सिर पर गिरते ही विष बन जाती है। इसी प्रकार शिवमहापुराण कथा अत्यंत पावन है जिसको प्रेमपूर्वक सुनने वाले हर प्राणी का लोक – परलोक सुधर जाता है और वो शिवलोक को प्राप्त करता है – स्वामी जी आगे व्यख्तान में कहा कि शिव सगुण अगुण और आदि हैं।इस दौरान शिव पूजन से रोग , दुख , दरिद्रता, पाप , इत्यादि सभी तरह के भौतिक कष्टों का निवारण होता है और चित आनन्द, उत्साह एवम प्रसन्नता से खिल उठता है। शिव महिमन श्रोत सभी श्रोतों में अति उत्तम श्रोत है – हर प्राणी को सैदेव इसका गायन करना चाहिए साथ ही घर परिवार में इसके गायन से बच्चों में शुभ संस्कारों का उदय होता है, प्रभु सर्वत्र व्याप्त हैं – हर मनुष्य के ह्रदय में विराजमान हैं – आवश्यकता है उन्हें महसूस और उनके दर्शन करने की। वहीं स्वामी परिपूर्णानन्द जी आगे कहते हैं – गणेश , शिव, विष्णु, दुर्गा एवं सूर्य ये पाँच देवों का सैदेव पूजन वंदन करना चाहिए। भगवती आराधना से प्रसन्न होने पर भवानी द्वारा हिम को वरदान मांगने की कहने पर हिम कहते हैं कि हे ! अम्बे मेरे घर में पुत्री के रूप में जन्म लो और शिव को पति रूप में वरण करो – भगवती कहती है तथास्तु साथ ही व्याख्यान में कहते हैं भक्ति दो प्रकार की होती है – सगुण एवम निर्गुण। प्रभु नाम का श्रवण, मनन , कीर्तन , स्मरण, चिन्तन, अनुकूलन, अर्पण, अर्चन एवं वन्दन मानव मात्र ले लिए सदैव कल्याणकारी है। इस दौरान व्याख्यान समाप्ति के पश्चात अरुण छवछरिया एवं उनके परिवार के द्वारा महाआरती कर भक्तों के बीच प्रसाद वितरण के साथ आज का कार्यक्रम कर समापन हुआ।इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अनिल ढांढनीयाँ, अरुण धनुका, लल्लू सारस्वत, विनोद शर्मा, अशोक लाठ, गौरव शर्मा, धीरज बंका, सुनील मोदी, अनुराग पोद्दार, विक्रम परसुरामपुरिया का सहयोग रहा।