झारखण्ड पलामू

सरकारी योजनाओं में जारी है लूट, पौने एक करोड़ की लागत से तीन अनुपयोगी शौचालयों का हुआ निर्माण

निर्माण के बाद से ही बंद पड़े हैं तीन सामुदायिक शौचालय, निर्माण की गुणवत्ता भी अत्यंत घटिया, दोषियों पर हो कार्रवाई: अरविंद गुप्ता

रिपोर्ट : अरविंद अग्रवाल

पलामू (खबर आजतक) : छत्तरपुर शहर के नगर पंचायत इन दिनों सुर्खियां बटोर रहा है और यह सुर्खियां इसके बेहतर कार्यों से नहीं बल्कि नगर पंचायत में हो रहे विकास योजनाओं में लूट से ये सुर्खियां बन रही हैं। जी हां छतरपुर नगर पंचायत के गठन हुए 6 साल बाद भी नगर पंचायत छतरपुर अपना वास्तविक शेप नहीं ले पाया है,

नगर विकास विभाग के द्वारा छः सालों में करोड़ों रुपए की राशि नगर पंचायत को विकास के लिए आवंटित जरूर हुई, लेकिन किस तरह से विकास योजनाओं का संचालन के साथ उसका क्रियान्वयन हुआ, यह किसी से छिपा नहीं है और यह धरातल पर देखकर साफ पता चलता है। यूं तो नगर पंचायत छतरपुर की मनमानी की कई खबरें सामने आती रही है, लेकिन इस बार जो खबर सामने आई है वह है नगर पंचायत में 75 लाख की लागत से बने तीन सामुदायिक शौचालयों की, जो 75 लाख की लागत से छतरपुर नगर के विभिन्न जगहों पर बनाए गए हैं, स्थानीय लोगों का कहना है कि जिन जगहों पर शौचालय बनाए गए हैं वे बेहद अनुपयोगी हैं और वे अभी तक शुरू भी नहीं हो पाए हैं। हालांकि इस मामले में सबंधित विभाग के पदाधिकारी से संपर्क करने की कोशिश भी की गई लेकिन नहीं हो पाया है।

इधर इस मामले में नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अरविंद गुप्ता चुनमुन का कहना है कि शौचालय की निर्माण में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा गया है, घटिया मटेरियल से बनाए जाने के कारण शौचालयों के निर्माण पर प्रश्नचिन्ह खड़ा है। साथ ही साथ उसमें प्राक्कलन लूट की गई है। दुर्भाग्य ये है कि एक साल बीत जाने के बाद भी इन शौचालयों को शुरू नहीं कराया जा सका है। जिसके कारण डर यह है कि ये शौचालय शुरू होने से पहले जर्जर ना हो जाएं। उन्होंने कहा कि पहले से ही आधा दर्जन मूत्रालय और शौचालय नगर में बनाये गए हैं, जिनका रख रखाव ठीक से नहीं होता है ऐसे में पुनः 75 लाख की लागत से शौचालय बनाना विकास राशियों की बर्बादी के अलावा कुछ भी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि शौचालय की साफ सफाई न होने और शौचालयों के बंद होने से सबसे ज्यादा परेशानी का सामना इलाके से गुजरने वाले महिला यात्रियों को करना पड़ता है, जो निसन्देह छतरपुर नगर पंचायत के लिए शर्म की बात है। अरविंद का यह भी कहना है कि अदूरदर्शिता और लूट की मानसकिता के साथ इलाके में विकास योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है, जहां पर जिन उपयोगी योजनाओं का निर्माण होना चाहिए था उसे दरकिनार कर चंद ठेकेदारों की मिली भगत से ग़ैरउपयोगी योजनाओं का निर्माण किया जा रहा है, यही कारण है कि लोगों में आक्रोश व्याप्त है। अरविंद ने कहा- कि जल्द ही आचार संहिता समाप्त होने के बाद, नगर पंचायत की मनमानी के खिलाफ, आंदोलन का बिगुल फूंका जाएगा, इस दौरान न सिर्फ नगर पंचायत कार्यालय का घेराव किया जाएगा, बल्कि नगर में आक्रोश मार्च भी निकाला जाएगा साथ ही एक दिवसीय धरना के साथ आमरण अनशन भी किया जाएगा। अरविंद ने झारखंड सरकार और पलामू के उपायुक्त से नगर पंचायत में क्रियान्वित विकास योजनाओं की जांच कराने की मांग की है। बरहाल छतरपुर नगर पंचायत से विकास योजनाओं की जो तस्वीरें निकल कर आ रही है वे भयावह हैं। इलाके की विकास योजनाओं की तस्वीरें देखने के बाद साफ तौर पर पता चलता है कि विकास योजनाओं में यहां किस तरह से बदस्तूर लूट जारी है जिस पर लगाम लगाने की आवश्यकता है।

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