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सरला बिरला में राष्ट्रीय हिन्दी दिवस पर हिन्दी भाषा की महत्ता, उपयोगिता तथा प्रासंगिकता विषय पर कार्यक्रम का आयोजन

हिन्दी को समृद्ध शक्तिशाली बनाने के लिए हिन्दी भाषा को रोजगार के रूप में विकसित करने की आवश्यकता: गोपाल पाठक

नितीश_मिश्र

राँची(खबर_आजतक): राष्ट्रीय हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में सरला बिरला विश्वविद्यालय के सभागार में हिंदी भाषा की महत्ता, उपयोगिता तथा प्रासंगिकता विषय पर विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गोपाल पाठक ने भारत की स्वतंत्रता के हिंदी के लिए किए गए प्रयासों की विस्तृत चर्चा करते हुए राजभाषा से राष्ट्रभाषा के प्रयासों की चर्चा की। इस अवसर पर हिंदी के साथ शुरु से लेकर अभी तक हो रहे अपेक्षाओं के कारकों पर चर्चा करते हुए हिंदी भाषा के इतिहास, विकास, परिस्थितियाँ, चुनौतियाँ और अवसर आदि के बारे में विस्तृत व्याख्या की। उन्होंने हिन्दी भाषा को भारतीय विरासत एवं गौरवशाली संस्कृति की पहचान होने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि हिन्दी को समृद्ध शक्तिशाली बनाने के लिए हिंदी भाषा को रोजगार की भाषा के रुप में विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जब अपनी हिन्दी देश भर में रोजगार परक भाषा बन जाएगी तो अवश्य इसका महत्व बढ़ जाएगा।

सरला बिरला विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रोफ़ेसर विजय कुमार सिंह ने कहा कि हिंदी न केवल भारत की बल्कि विश्व की प्रमुख भाषाओं में से एक है। उन्होंने अन्य विकसित देशों का उल्लेख करते हुए हिंदी भाषा को महत्व दिए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि जितने भी विकसित राष्ट्र हैं वे अंग्रेजीयत के गुलाम नहीं है। उन्होंने कहा कि हिंदी न केवल विचारों की अभिव्यक्ति की भाषा है बल्कि यह हमारी संस्कृति एवं मूल्यों का संवहन का कार्य करती है।

मानविकी की संकायाध्यक्ष प्रोफेसर नीलिमा पाठक ने हिंदी दिवस मनाए जाने की प्रासंगिकता व राजभाषा व राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। संस्कृत हिंदी की जननी है। उन्होंने भाषा के विकास के लिए श्रोता और वक्ता का होना एवं उनके बीच तालमेल व सामंजस्य की आवश्यकता पर बल दिया।
हिंदी के विविध विशेषताओं के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि हिंदी में अन्य भाषाओं को समाहित करने की सामर्थ्य है। अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव से हिंदी विकृत हो रही है। हिन्दी भाषा की दशा और दिशा पर न केवल चर्चा बल्कि विचार पूर्वक इसके उपयोगिता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज हिंदी न केवल भारत अपितु वैश्विक पटल पर अपनी धाक बनाने में कामयाब हो रही है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम, भाषण प्रतियोगिता एवं कविता वाचन आदि कार्यक्रम आयोजित किए गए।

इस कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय की छात्रा प्रिया कुमारी एवं मुस्कान प्रिया के द्वारा किया गया।

भाषण प्रतियोगिता में बीबीए की छात्रा दिव्या नंदिनी द्वितीय एवं साक्षी सुमन प्रथम स्थान प्राप्त करने में कामयाब रही जबकि कविता वाचन प्रतियोगिता में बीबीए की अदिति द्वितीय स्थान एवं बीटेक के छात्र शशांक पांडेय प्रथम स्थान पाने में सफल रहे। कुलपति एवं कुल सचिव के द्वारा प्रथम एवं द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर डॉ संदीप कुमार, डॉ नीलिमा पाठक, प्रो श्रीधर बी दंडीन, डॉ सुबानी बाड़ा, डॉ अशोक कुमार अस्थाना, डॉ पार्थ पॉल, डॉ राधा माधव झा, डॉ पुजा मिश्रा, डॉ आरोही आनंद, प्रो एलजी हनी सिंह, आशुतोष द्विवेदी, डॉ भारद्वाज शुक्ल, सुभाष नारायण शाहदेव, राहुल रंजन, आशीष, उमंग सहित राष्ट्रीय सेवा योजना के पदाधिकारी, विश्वविद्यालय के छात्र सहित अन्य उपस्थित थे।

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