रिपोर्ट : नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक) : सरला बिरला विश्वविद्यालय के योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विभाग एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के संयुक्त तत्वाधान में 9वाँ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गोपाल पाठक ने अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित की तथा कहा कि योग मन, शरीर और आत्मा की एकता को सक्षम बनाता है। योग के विभिन्न रूपों से हमारे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को अलग-अलग तरीके से लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि योग को अपनाने से सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है इसलिए योग को अपना नितांत आवश्यक है।इस अवसर पर विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी डॉ प्रदीप कुमार वर्मा ने अपने संबोधन में इस वर्ष के थीम वाक्य वसुधैव कुटुंबकम पर प्रकाश डालते हुए कहा कि योग आत्मा को परमात्मा के साथ जोड़ने की क्रिया है। इस प्रक्रिया से संपूर्ण ब्रह्मांड एकात्ममय हो जाता है जो कि वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा को और प्रगाढ़ करता है।इस अवसर पर योगा एंड नेचुरोपैथी विभाग की डीन डॉ नीलिमा पाठक ने योग का अर्थ, महत्व, इतिहास एवं उसकी महता पर सविस्तार प्रकाश डाला।इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो विजय कुमार सिंह ने कहा कि 21 जून को मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस प्राचीन भारतीय कला के लिए एक अनुष्ठान है। उन्होंने उपस्थित छात्रों से इस अवसर पर अपनी विरासत पर गर्व करने तथा संस्कृति की रक्षा करने का आह्वान करते हुए एक अच्छा नागरिक बनने का आह्वान किया तथा कहा कि उक्त कार्य योग के द्वारा ही संभव है।इस दौरान स्वागत भाषण डॉ राधा माधव झा ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ संजीव कुमार सिन्हा ने किया।इस अवसर पर अन्य वक्ताओं ने में आशुतोष द्विवेदी, डॉ सुबानी बाड़ा ने भी संबोधित किया।इस कार्यक्रम का संचालन डॉ नम्रता चौहान ने किया। इस अवसर पर डॉ संदीप कुमार, डॉ अशोक कुमार अस्थाना, डॉ अमरेंद्र द्विवेदी एवं डॉ अर्चना मौर्या आदि उपस्थित थे।