महिलाओं पर हिंसा उनके मौलिक मानवाधिकारों का उल्लंघन: पुलिस महानिदेशक
नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): साईं नाथ विश्वविद्यालय में शनिवार को ’’महिलाओं पर हिंसाः पुलिस की पहुँच और समस्याएँ’’ विषय पर साईं नाथ विश्वविद्यालय के द्वारा सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार के मुख्य अतिथि झारखण्ड पुलिस महानिदेशक अजय कुमार सिंह थे। इस दौरान अतिथियों के सम्मान में विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने प्रवेश द्वार से झारखण्ड़ी संस्कृति एवं पारंपरिक वेश-भूषा, ढोल, नगाड़ें के साथ झारखंडी नृत्य कर भव्य स्वागत किया एवं विश्वविद्यालय के एनसीसी के छात्र-छात्राओं द्वारा मुख्य अतिथि एवं गणमान्य अतिथियों को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
इस दौरान विश्वविद्यालय के कुलपति- प्रो० (डॉ०) एस० पी० अग्रवाल एवं मुख्य अतिथि झारखंड पुलिस महानिदेशक अजय कुमार सिंह ने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
वहीं साईं नाथ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० (डॉ०) एस० पी० अग्रवाल ने मुख्य अतिथि पुलिस महानिदेशक अजय कुमार सिंह को पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। तत्पश्चात् विश्वविद्यालय के कुलपति- प्रो० (डॉ०) एस० पी० अग्रवाल ने उपस्थित गणमान्य अतिथियों, शिक्षक-शिक्षिकाओं, प्रशासनिक अधिकारियों एवं छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को गिनाते हुए ’’महिलाओं पर हिंसाः पुलिस की पहुँच और समस्याएँ’’ विषय पर विस्तारपूर्वक बताते हुए कहा कि सेमिनार का मुख्य उदेश्य भारत में महिलाओं पर होने वाली हिंसा को समझना और पुलिस की पहुँच और समस्याओं पर प्रकाश डालना है। महिलाओं को हिंसा के मुद्दे पर जागरुकता बढ़ाने एवं समाज में महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
साथ ही कुलपति प्रो.(डॉ.) एस पी अग्रवाल ने बताया कि महिलाओं पर हिंसा के कई प्रकार है, जिनमें घरेलू हिंसा, यौन हिंसा, दहेज हत्या, अपहरण और छेड़छाड़ शामिल है। “महिलाओं पर हिंसाः पुलिस की पहुंच और समस्याएँ’’ एक ऐसा विषय है जिस पर अधिक चर्चा की आवश्यकता है जिससे महिलाओं पर होने वाली हिंसा को रोकने और उनका मुकाबला करने के लिए अधिक प्रभावी तरीके विकसित करने में मदद मिलेगी।
इस दौरान मुख्य अतिथि पुलिस महानिदेशक अजय कुमार सिंह ने सेमिनार में ’’ महिलाओं पर हिंसाः पुलिस की पहुँच और समस्याएँ’’ विषय पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि महिलाओं पर हिंसा उनके मौलिक मानवाधिकारों का उल्लंघन है और उन्हें उनकी पूरी क्षमता हासिल करने से रोकती है। महिलाओं पर हिंसा एक सामाजिक समस्या है जिनमें पुलिस की भूमिका महत्वपूर्ण है। आज देश में महिलाएँ और लड़कियाँ व्यापक और विविध प्रकार की हिंसा से पीड़ित होती है। यह घर में, सड़को पर, स्कूलों में, कॉलेजों में, कार्यस्थल पर घरेलू और यौन हिंसा के रुपो में प्रकट होता है यह हिंसा दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों को सम्मान से जीने से रोकती है। यह महिलाओं की उन्नति में सबसे प्रबल बाधाओं में से एक है एवं देश की प्रगति और समृद्धि को गंभीर रुप से खतरे में डालता है। साथ ही कहा कि पुलिस को महिलाओं पर होने वाली हिंसा की शिकायतों को स्वीकार करना और एफआईआर दर्ज कर महिलाओं को उनके अधिकारों और सुरक्षा प्रदान करना हमारा प्रमुख उदेश्य है साथ ही त्वरित कार्रवाई, सहायता और सुरक्षा, उचित दिशा-निर्देश के अलावा समाज में सभी की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि महिला सुरक्षा, सामाजिक जागरुकता, महिला सशक्तीकरण के लिए सामूहिक प्रयास करें।
साथ ही उन्होने कहा कि ’’महिलाओं के खिलाफ हिंसा पुरूषों और महिलाओं के बीच ऐतिहासिक रूप से असमान शक्ति संबंधों की अभिव्यक्ति है।’’ “महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा एक महामारी जैसी समस्या है।’’ ऐसा देखा गया है कि महिला हिंसा की कई शिकायते विभिन्न कारणों से दर्ज नहीं हो पातीं। यह भी देखा जाता है कि कई महिला पीड़ित पुरूष पुलिस अधिकारियों के सामने अपनी स्थिति व्यक्त करने के लिए पारिवारिक या सामाजिक भय के कारण शिकायते दर्ज नहीं कराती है। महिलाओं के खिलाफ हिंसा की स्थितियों से निपटने के लिए पुलिस व्यवस्था की संरचना, महिला थाने की स्थापना, उनकी कार्यप्रणाली, दक्षता, प्रभावशीलता, पुलिस प्रशासन में महिला प्रतिनिधित्व की भूमिका काफी महत्वूपर्ण है।
इस सेमिनार में अतिथियों के अलावा सभी ने अपने – अपने विचार व्यक्त किए एवं कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।