बोकारो (ख़बर आजतक): श्री राम मंदिर सेक्टर वन मे चल रहे श्री राम कथा अमृत वर्षा के सातवें दिन विविध प्रसंगो के माध्यम से रामकथा वाचक संत श्री सुधीर जी महाराज ने जनमानस को एक से बढ़कर एक सूत्र दिया जो मानव निर्माण के लिए अत्यंत जरुरी है ।आज की कथा में भरत चरित्र, अरण्य कांड, किष्किंधा कांड का दर्शन कराते हुए महाराज श्री ने कहा कि अयोध्या में इतना बड़ा अनर्थ हुआ है तो कैकई भरत जी को कहती हैं कि बेटा सब कुछ ठीक है थोड़ा सा काम बिगड़ा है । महाराज जी कहते हैं कि स्वार्थ का विष आंखों में आता है तो मनुष्य की सारी की सारी दृष्टि बदल जाती है ।भरत जी जब अपने पिता श्री के शव के पास जाकर गिर जाते हैं और बिलखकर रोने लगते हैं ।
इस पर गुरु वशिष्ठ जी समझाते हुए धैर्य धारण करने को कहते हैं । उन्होंने कहा कि “हानि – लाभ, जीवन – मरण, यश – अपयश, विधि हाथ” । यह सभी विधाता के हाथ में है आगे की चर्चा में उन्होंने कहा कि सत्ता हमेशा साधना में विघ्न पैदा करती है । भरत जी साधना हैं इंद्र सत्ता है । भगवंत यात्रा हमेशा संत के साथ करनी चाहिए साधना का फल संत दर्शन और भगवंत दर्शन ही है ।महाराज जी बताते हैं कि भगवान का दर्शन बड़े भाग्य से और संत दर्शन भगवान के भाग्य से होता है । अरण्य कांड की चर्चा में महाराज श्री ने कहा कि जंगल विहरता का प्रतीक है । संसार भयानक जंगल है इसमें अनेक हिंसक जानवर हैं और जंगल में घूमने के लिए एक गाइड की जरुरत होती है । ठीक इसी प्रकार जीवन रूपी जंगल का गाइड कोई गुरु ही हो सकता है । महाराज जी ने कहा कि अरण्य कांड ऋषि-मुनियों के त्याग और तपस्या का कांड है ।
किष्किंधा कांड की चर्चा में महाराज श्री ने हनुमान जी महाराज और भगवान श्री राम से मिलन का बड़ा ही मार्मिक दृष्टांत उपस्थित किया है ।
इस आयोजन में लियो नाइन के सुजीत कुमार सिंह, चंदन जायसवाल, मंटू सिंह, रुद्र कुमार, रमन कुमार दुबे, ब्रजेश सर्राफ, राजू जयसवाल, अमित चौधरी, अमर गुप्ता, श्री राम मंदिर आचार्य शिव कुमार शास्त्री जी, कृष्णकांत त्रिपाठी जी तथा श्री शक्ति सेवा समिति महिला मंडल से डॉक्टर रिचा सिंह, इऺदू कुमार, माया सिन्हा, इंद्रा गुप्ता, करुणा सिंह, अनीता सिंह, पुतुल आखौरी आभा सिंह की भूमिका सराहनीय है*