झारखण्ड राँची राजनीति

सिरमटोली रैम्प विवाद: झारखंड बंद के दौरान रांची में जोरदार विरोध प्रदर्शन

नितीश मिश्र, राँची

राँची (ख़बर आजतक): राजधानी रांची के सिरमटोली स्थित फ्लाईओवर रैम्प को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। आदिवासी संगठनों द्वारा लगातार इसका विरोध किया जा रहा है। इसी क्रम में बुधवार को एक चरणबद्ध आंदोलन के तहत संपूर्ण झारखंड बंद का आह्वान किया गया।

झारखंड बंद का असर राजधानी रांची में भी स्पष्ट रूप से देखने को मिला। लगभग 11 बजे के बाद बड़ी संख्या में बंद समर्थक सड़कों पर उतर आए और विरोध जताया। करमटोली चौक, जेल मोड़, फिरायालाल चौक समेत अन्य इलाकों में टायर जलाकर प्रदर्शन किया गया। इन स्थलों पर टायर जलाकर रास्ता बंद कर दिया गया, जिससे गाड़ियों का आवागमन पूरी तरह ठप रहा। हालांकि, बंद समर्थकों ने आपातकालीन सेवाओं जैसे एम्बुलेंस और मेडिकल से जुड़े वाहनों को जाने दिया।

“जब तक रैम्प नहीं हटेगा, आंदोलन जारी रहेगा” – देव कुमार धान

पूर्व मंत्री देव कुमार धान ने रैम्प निर्माण का विरोध करते हुए कहा कि सिरमटोली सरना स्थल आदिवासी समाज की आस्था का केंद्र है। यह न केवल धार्मिक स्थल है बल्कि भावनात्मक रूप से भी समुदाय से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा, “रैम्प का निर्माण आस्था पर सीधी चोट है। जब तक झारखंड सरकार इसे नहीं हटाएगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।”

“अबूआ सरकार फेल, बबुआ लोग चला रहे राज्य” – प्रेम शाही मुंडा

भारत आदिवासी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने सरकार पर कड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा, “पूरा आदिवासी समाज अपने धार्मिक स्थल को बचाने के लिए सड़कों पर है, लेकिन आदिवासी सरकार मौन है। इतने लंबे समय से आंदोलन चल रहा है, फिर भी सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। इससे साफ है कि ‘अबूआ सरकार’ अब फेल हो चुकी है और बाहर से आए ‘बबुआ’ लोग राज्य चला रहे हैं।”

“विकास चाहिए, पर आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं” – रौशनी खलखो

पूर्व पार्षद रौशनी खलखो ने भी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उन्होंने कहा, “जिस आदिवासी समाज ने हेमंत सोरेन को सत्ता दिलाई, आज उसी समाज को सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। हम विकास के विरोधी नहीं हैं, लेकिन अगर धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचेगी, तो आदिवासी समाज चुप नहीं बैठेगा। हम अपने हक की लड़ाई पूरी मजबूती से लड़ेंगे।”

झारखंड बंद के दौरान रांची की सड़कों पर व्यापक प्रदर्शन हुआ, जिससे आम जनजीवन प्रभावित रहा। फिलहाल सरकार की ओर से इस पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी है कि जब तक रैम्प निर्माण रद्द नहीं किया जाएगा, आंदोलन तेज़ होता जाएगा।

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