कसमार झारखण्ड बोकारो

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला : बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का हनन, कानून पर अमल के लिए किया दिशा निर्देश जारी

शीर्ष अदालत ने कहा, बाल विवाह अपनी मर्जी से जीवनसाथी चुनने के अधिकार का हनन

रंजन वर्मा,कसमार बोकारो
कसमार (ख़बर आजतक) : देश में बाल विवाह कानून पर एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून के प्रभावी तरीके से कार्यान्वयन के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि बाल विवाह अपनी मर्जी से जीवनसाथी चुनने के अधिकार को छीनता है। ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के सहयोगियों सोसाइटी फॉर एनलाइटेनमेंट एंड वालंटरी एक्शन (सेवा) और कार्यकर्ता निर्मल गोरानी की याचिका पर आए इस फैसले का स्वागत करते हुए सहयोगिनी के निदेशक गौतम सागर ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से देश में बाल विवाह के खात्मे के प्रयासों को मजबूती मिलेगी और हम राज्य सरकार से अपील करते हैं कि वह इन दिशानिर्देशों पर तत्काल प्रभाव से अमल करे ताकि 2030 तक भारत को बाल विवाह मुक्त बनाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।” सहयोगिनी देश के 200 से ज्यादा गैरसरकारी संगठनों के गठबंधन ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ (सीएमएफआई) अभियान का एक अहम सहयोगी है जो 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लिए 400 से ज्यादा जिलों में जमीनी अभियान चला रहे हैं।

उन्होंने बताया कि देश के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने फैसले में कहा कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (पीसीएमए), 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सरकार व प्रशासन को बचाव-रोकथाम-अभियोजन रणनीति के साथ समुदाय आधारित दृष्टिकोण के साथ काम करने की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी दिशानिर्देशों में स्कूलों, धार्मिक संस्थाओं और पंचायतों को बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता के प्रसार का अहम औजार बताते हुए बाल विवाह की ज्यादा दर वाले इलाकों में स्कूली पाठ्यक्रम में बाल विवाह की रोकथाम से संबंधित उपायों की जानकारियां शामिल करने को कहा गया है।
कोर्ट याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दावा किया गया था कि देश में बाल विवाह की स्थिति गंभीर है और बाल विवाह के खिलाफ बने कानून पर उसकी अक्षरश: अमल नहीं कर उसकी मूल भावना से खिलवाड़ किया जा रहा है।

फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने बचाव-संरक्षण-अभियोजन रणनीति और समुदाय आधारित दृष्टिकोण पर जोर देते हुए कहा, “कानून तभी सफल हो सकता है जब बहुक्षेत्रीय समन्वय हो। कानून प्रवर्तन अधिकारियों के प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण की आवश्यकता है। हम एक बार फिर समुदाय आधारित दृष्टिकोण की जरूरत पर जोर देते हैं।”

फैसले का स्वागत करते हुए सहयोगिनी की सचिव ने कहा, “यह हम सभी के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण फैसला है। राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन बाल विवाह के खात्मे के लिए जिसे जोश और संकल्प के साथ काम कर रहे हैं, वह सराहनीय है और यह फैसला हम सभी के साझा प्रयासों को और मजबूती देगा। बाल विवाह एक ऐसा अपराध है जिसने सारे देश को जकड़ रखा है और इसकी स्पष्ट व्याख्या के लिए सुप्रीम कोर्ट के आभारी हैं। हम आश्वस्त हैं कि साथ मिलकर और साझा प्रयासों से हम 2030 तक इस अपराध का पूरी तरह खात्मा कर देंगे।” बताते चलें कि पिछले एक साल में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान और इसके सहयोगी गैरसरकारी संगठनों के प्रयासों से देश में सफलतापूर्वक 120,000 बाल विवाह रुकवाए गए। इसके अलावा, सरकार के प्रयासों से बाल विवाह की दृष्टि से संवेदनशील 11 लाख बच्चों का विवाह होने से रोका गया।

‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के संस्थापक भुवन ऋभु ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भारत और पूरी दुनिया के लिए नजीर बताते हुए कहा, “यह ऐतिहासिक फैसला सांस्थानिक संकल्प को मजबूती देने की दिशा में निर्णायक बिंदु साबित होगा। यह देश से बाल विवाह के समग्र उन्मूलन के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बेहद अहम जीत है। सुप्रीम कोर्ट और सरकार के प्रयासों ने दिखाया है कि उन्हें बच्चों की परवाह है और अब समय आ गया है कि हम सभी आगे आएं और साथ मिलकर इस सामाजिक अपराध का खात्मा करें।”

ऋभु ने कहा,”अगर हम अपने बच्चों की सुरक्षा करने में विफल हैं तो फिर जीवन में कोई भी काम मायने नहीं रखता। सुप्रीम कोर्ट ने एक समग्र दृष्टिकोण की जरूरत को फिर मजबूती से रेखांकित किया है और ‘पिकेट’ रणनीति के जरिए ‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ भी इसी पर जोर देता रहा है। बाल विवाह अपने मूल रूप में बच्चों से बलात्कार है। यह निर्णय सिर्फ हमारे संकल्प को ही मजबूती नहीं देता बल्कि इस बात को भी रेखांकित करता है कि जवाबदेही और साझा प्रयासों से हम बच्चों के खिलाफ हिंसा के सबसे घृणित स्वरूप बाल विवाह का खात्मा कर सकते हैं।”

‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान 200 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठनों का गठबंधन है जो 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लिए पूरे देश में काम कर रहे हैं। ये सभी सहयोगी संगठन इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक समग्र रणनीति ‘पिकेट’ पर अमल कर रहे हैं जिसमें नीति, संस्थान, संम्मिलन, ज्ञान, परिवेश, तकनीक जैसी चीजें शामिल हैं। धार्मिक नेताओं और समुदायों के साथ साझा प्रयासों से इसने इस अपराध के खात्मे के लिए 4.90 करोड़ लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई है। सहयोगिनी में वार्ता के दौरान फुलेंद्र रविदास, रवि कुमार, मंजू देवी, अनिल हेंब्रम, सोनी देवी, सूर्यमणि देवी आदि उपस्थित थी।

Related posts

कांग्रेस प्रत्याशी बन्ना गुप्ता ने चलाया जनसंपर्क अभियान

admin

बोकारो के कॉपरेटिव कॉलोनी में खुला अमुल का एक्सक्लूसिव आउटलेट

admin

जिप सदस्य अकाश लाल सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश लाल सिंह के चुनावी कार्यालय का किया उद्घाटन

admin

Leave a Comment