तभी बचेगा खतियान और झारखंड जब सिद्धो-कान्हू के रास्ते पर चलने का संकल्प लें सभी: बंधु तिर्की
नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): पूर्व मंत्री, झारखंड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य एवं झारखंड प्रदेश कॉंग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि हूल दिवस के अवसर पर हम सभी अपने-आपको झारखंड के प्रति समर्पित कर सकते हैं। जब हम ज़मीन की रक्षा का संकल्प लें क्योंकि आज यह सबसे बड़ी जरुरत है। बंधु तिर्की ने कहा कि झारखंड और यहाँ के सभी लोग विशेषकर आदिवासी और मूलवासी तभी बचेंगे जब हमारा संकल्प गहरा होगा।
इस दौरान बंधु तिर्की ने कहा कि राँची जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सभी ज़मीन एवं उसके खतियान की सुरक्षा सुनिश्चित किया जाना चाहिए। बंधु तिर्की ने कहा कि उन्हें प्राप्त जानकारी के अनुसार न केवल राँची के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बल्कि पूरे झारखंड के अनेक जिलों में खतियान में हेरफेर किया जा रहा है और उन्हें क्षति पहुँचाया जा रहा है। इसके अलावे, शहरी एवं ग्रामीण अंचलों में रजिस्टर टू में हेरफेर और छेड़छाड़ की जा रही है। स्थिति यहाँ तक बदतर है कि अंचल के अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से रजिस्टर टू के पन्ने तक फाड़े जा रहे हैं।
वहीं बंधु तिर्की ने कहा कि ऐसी घटनाएँ, संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों की संलिप्तता के बिना असंभव है। बंधु तिर्की ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जमीन से जुड़े जिन मामलों की जाँच – पड़ताल की जा रही है उनमें यह बात स्पष्ट होकर सामने आयी है कि खतियान में छेड़छाड़ और उसे नुकसान पहुँचाने की बहुत सारी घटनायें हुई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थितियों में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आने वाले कुछ महीनों-वर्षों में अपनी जमीन से संबंधित कागजात के लिए अनेक लोग परेशान होंगे और उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
इस दौरान बंधु तिर्की ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वे इस मामले को गंभीरता से ले। बंधु तिर्की ने कहा कि जिस प्रकार से राँची में अनेक घटनाएँ सामने आ रही है और इस सम्बन्ध में उन्हें सूचना मिल रही है, उसे देखते हुए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि राज्य के अन्य जिलों में भी शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में खतियान और रजिस्टर टू में हेरफेर किया जा रहा है और उसे नुकसान पहुँचाया जा रहा है। बंधु तिर्की ने कहा कि झारखण्ड में गैर मजरुआ आम एवं खास जमीन के साथ ही वन भूमि पर भी अनेक लोग अवैध तरीके से उस पर कब्जा जमाए बैठे हैं। इसके अलावा अनेकों स्थानों पर गैरमजरूआ जमीन को साज़िश के तहत सीएस रजिस्टर से आरएस रजिस्टर में स्थानांतरित किया जा रहा है और अंचलाधिकारी कार्यालयों के द्वारा ऑनलाइन रसीद गलत तरीके से निर्गत की जा रही है। साथ ही वैसी जमीन की खरीद बिक्री भी व्यापक पैमाने पर जारी है।
इस दौरान बंधु तिर्की ने कहा कि राँची के शहरी क्षेत्रों में विशेष रुप से ऐसी अनेक घटनाओं से लोग परेशान हैं। इसके अलावा राँची जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी ऐसी घटनाएँ सामने आ रही है जब जमीन के वास्तविक दस्तावेजों में हेराफेरी दुर्भाग्य की बात है और इसके सबसे ज्यादा यहाँ के आदिवासी, मूलवासी और दलित प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों के हित में और जल, जंगल और जमीन की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए झारखण्ड का गठन किया गया था, उसे ऐसी घटनाओं, सूचनाओं और इस प्रकार की गतिविधियों से नुकसान पहुँचता है जो किसी भी दृष्टिकोण से झारखण्ड के लोगों के साथ ही यहाँ की कानून-व्यवस्था के एवं शांति सुरक्षा के लिए सही नहीं है।