नितीश मिश्र, राँची
राँची (खबर_आजतक): झारखंड के वीर सपूतों सिद्धो-कान्हु और चाँद-भैरव को हूल दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने वीर शहीदों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया और उनके बलिदान को ऐतिहासिक बताया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हूल आंदोलन केवल विद्रोह नहीं था, बल्कि यह आदिवासी समाज की अस्मिता, सम्मान और स्वतंत्रता की लड़ाई थी। सिद्धो-कान्हु और उनके साथियों ने अंग्रेजों और जमींदारों के अत्याचारों के खिलाफ संगठित होकर आवाज़ उठाई और अपने प्राणों की आहुति दी।
इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के साथ कई विधायक एवं जनप्रतिनिधि भी उपस्थित थे, जिनमें गांडेय की विधायक कल्पना सोरेन, रामगढ़ की ममता देवी, टुंडी के मथुरा प्रसाद महतो, सारठ के उदय प्रताप सिंह, खिजरी के राजेश कच्छप और पूर्व विधायक के.एन. त्रिपाठी शामिल थे।
हूल आंदोलन 30 जून 1855 को संथाल परगना से आरंभ हुआ था। यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें हजारों संथाल आदिवासियों ने हिस्सा लिया था। यह दिन हमें आदिवासी समाज की वीरता और आत्मगौरव की याद दिलाता है।