झारखण्ड राँची राजनीति

18 फरवरी को मोराबादी में कुड़मी/कुरमी समाज को आठवी अनुसूची में शामिल करने को लेकर हूँकार महारैली का आयोजन

नितीश_मिश्र

राँची(खबर_आजतक): टोटेमिक कुड़मी/कुरमी (महतो) समाज का प्रेसवार्ता बुधवार को होटल गंगा रेसिडेंसी में संपन्न हुआ।
इस प्रेसवार्ता में संबोधित करते हुए टोटेमिक कुड़मी/कुरमी (महतो) समाज के मुख्य संयोजक शीतल ओहदार ने कहा कि कुड़मी/कुरमी महतो जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में सुचिबद्ध करने और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की माँग को लेकर आगामी 18 फरवरी को मोरहाबादी मैदान में कुड़मी हूंकार महारैली का आयोजन किया गया है जिसमें लाखों की संख्या में कुड़मी समाज के लोग अपने पारंपरिक वेशभूषा, अपने पारंपरिक नाच-गाना जैसे छऊ नाच, झुमर नाच, पता नाच,नटुवा नाच,घोड़ा नाच एवं गाजा-बाजा के साथ शामिल होंगे, जिसकी ग्राम स्तर पर वृहद रुप में तैयारी की जा रही है।

इस दौरान शीतल ओहदार ने कहा कि हूँकार महारैली की आह्वान पुरे झारखण्ड में फैल गया है क्योंकि कुड़मी समाज के ऊपर चौतरफा हमला हो रहा है, समाज 73 वर्षों से अपने पहचान और संवैधानिक अधिकार से वंचित हैं। किन्तु युवा वर्ग अपने अधिकार के प्रति सजग हो गये हैं इसलिए अब आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं। उन्होंने कुड़मी सांसदों से भी आग्रह किया है कि अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की मांग को ज़ोरदार तरीके से उठाना चाहिए। उन्होंने कुड़मी के ऐतिहास की जानकारी देते हुए कहा कि 3 मई 1913 को प्रकाशित इंडिया गजट नोटिफिकेशन नं० 550 में ओबरिजिनल एनीमिस्ट मानते हुए छोटा नागपुर के कुड़मीयों को अन्य आदिवासियों के साथ भारतीय उत्तराधिकार कानून 1865 के प्रधानों से मुक्त रखा गया तथा 16 दिसंबर 1931 को प्रकाशित बिहार -उड़ीसा गजट नोटिफिकेशन नं० 49 पटना में भी साफ-साफ उल्लेख किया गया कि बिहार – उड़ीसा में निवास करने वाले मुण्डा, उराँव ,संथाल, हो भूमिज, खड़िया, घासी, गोंड़, कांध कोरवा, कुड़मी , माल सौरिया और पान को प्रिमिटिव ट्राइब मानते हुए भारतीय उत्तराधिकार कानून 1925 से मुक्त रखा गया।

कुड़मी जनजाति को सेंसस रिपोर्ट 1901 के वॉल्यूम (1) में पेज 328 -393 में, सेंसस रिपोर्ट 1911 के वॉल्यूम (1) के पेज 512 में तथा सेंसस रिपोर्ट 1921 के वॉल्यूम (1) में 356 – 365 में स्पष्ट रुप से कुड़मी जनजाति को एबोरिजनल एनीमिस्ट के रूप में दर्ज किया गया। पटना हाई कोर्ट के कई जजमेंट में भी कुड़मी को जनजाति माना है, इनके अलावा बहुत सारे दस्तावेज होने के बावजूद भी केंद्र सरकार कुड़मी /कुरमी जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर रखा गया है। जिसके कारण आज कुड़मी जनजाति अन्य सभी जनजातियों से रोजगार, शिक्षा के साथ-साथ राजनीतिक भागीदारी में भी अंतिम पायदान पर चला गया है। आज समाज हर दृष्टिकोण से पीड़ित और शोषित है इसीलिए हूँकार महारैली में लगभग पाँच लाख की संख्या में समाज के लोग शामिल होंगे, यह अब तक का ऐतिहासिक महारैली होगा।

इस प्रेसवार्ता में प्रधान महासचिव रामपोदो महतो, महिला मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष सुषमा देवी, केंद्रीय कोषाध्यक्ष सखीचंद महतो संरक्षक दानि सिंह महतो, प्रवक्ता क्षेत्र मोहन महतो, उपाध्यक्ष रूपलाल महतो, जिलाध्यक्ष सोना लाल महतो, सिल्ली प्रभारी शशि रंजन महतो, रावंति देवी, रविता देवी, मालती देवी, रंजीत महतो आदि उपस्थित थे।

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