डिजिटल डेस्क
बोकारो (ख़बर आजतक) : बोकारो सेक्टर 1 के अग्रसेन भवन मे आज दानवीर भामाशाह ट्रस्ट द्वारा काव्य-स्पंदन कवि सम्मेलन का आयोजन किया. इस सम्मलेन मे झारखंड के विभिन्न जिलो से आए कवियों ने अपनी कविताओं से बोकारो के श्रोताओं का मन मोह लिया। इस कवि सम्मेलन में रांधी से शायर दिलादनमा युवा गीतकार नीतेश मिश्र, गजलकारा स्नेहा राय एवं धनबाद से लोकप्रिय कवि व मंच संचालक अनंत महेन्द्र विशेष रूप से आमंत्रित थे, वहीं बोकारो के ओज कवि ब्रजेश पांडेय एवं कार्यक्रम की संयोजिका गजलकारा रीना यादव ने भी अपनी प्रस्तुति दी। कवि सम्मेलन की शुरुआत ब्रजेश पांडेय ने अपनी ओजस्वी मुखर पंक्तियों में की।
‘सत्य और ईमान पर अड़ा रहना, अपने ही पैरो पर खड़ा रहना, दौलत, शोहरत का भी गुमान न हो, मुश्किल है बड़ा होकर बड़ा रहना’ जैसी पंक्तियों से ब्रजेश ने शानदार शुरुआत की।
वहीं रांची से पधारी शायरा स्नेहा राय ने अपनी गजलों से शहरवासियों का दिल जीत लिया। विशेषकर उनके शेर बगावत छीनती आई यहाँ पर कुर्सियां अक्सर, उसे जिद है उसी को गाँव का सरदार होना है पर दर्शकों ने भरपूर तालियाँ बजाई। कार्यक्रम संयोजिका व शहर की शहर की प्रतिष्ठित गजलकारा रीना यादव ने अपनी लोकप्रिय गजल पढ़कर साहित्य के क्षेत्र में बोकारो के स्वर्णिम भविष्य होने का संकेत दिया। उनकी गजल ‘आइये जीत में हार मिलाई जाए, हसरतें ख़ार की गुलशन को सुनाई जाए। यारियाँ टूट गई दौलतो के चौखट पे यार चल दौलतों में आग लगाई जाए पर पूरा सभागार तालियों की गड़गझहट से गुंजायमान हो उठा। गौरतलब हैं कि रीना यादव राष्ट्रीय स्तर पर अपने तरन्नुम में पढ़े गजलों से इन दिनों चर्चा का केन्द्र बनी हुई है। कार्यक्रम में रांची के युवा गीतकार नीतेश मिश्र ने अपने वेदना भरे गीतों से अपनी अमिट छाप छोड़ी। जैसी ही कवि नीतेश ने ‘रात कितनी होगयी है आँख को आराम दे दो, नींद को भी बोलकर अपने यहाँ कुछ काम दे दो,
मगर आँखें एक अविरल धार में बहने लगी फिर क्रांति श्रीवास्तव अर्चना मिश्र अरुण पाठक मीडिया प्रभारी स्मिता चुप्पियाँ कहने लगी फिर’ पंक्तियाँ गुनगुनायी, मंच संचालक अनंत महेन्द्र ने उन्हें पीड़ा के गीतकार की उपाधि दे दी। कार्यक्रम में मंच संचालक की भूमिका में युवा गीतकार और राष्ट्रीय स्तर पर अपने गीत-गजलों से झारखंड की पहचान बन चुके धनबाद के कवि अनंत महेन्द्र ने अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को विभोर कर दिया। उनके गीत की पंक्तियाँ प्रेम भर कर लिखी चिट्ठियाँ आपको साथ भेजी कई, सिसकियों आपको आप खतरा नहीं मोलिएगा. ख़त वो सारे जला दीजिएगा’ सुनने के बाद दोबारा सुने जाने की मांग होने लगी। अंत में रांची के वरिष्ठ शायर दिलशाद नज़्मी ने अपने चिर-परिचित अंदाज में शायरी से समां बांध दिया। उन्होंने ‘ग़जल सुनाओ कि सीने का कोई दाग जले, फिर आंसुओं से किसी याद का चराग जले, बड़े यकीन से सौंपा गया उन्हें गुलशन, किसी ने सोचा नहीं था के सारा बाग जले’ जैसे शेर सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। आयोजन समिति के प्रमुख पवन यादव ने अपने संबोधन में अनंत महेन्द्र के संचालन एवं सभी कवियों के काव्य पाठ की भरपूर प्रशंसा की एवं बोकारो के श्रोताओं की ओर से सभी कवियों को अंगवस्त्र और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। वहीं कार्यक्रम के आयोजक दानवीर भामाशाह ट्रस्ट के अध्यक्ष दीपक प्रसाद ने अयोजन समिति द्वारा किए गए शानदार व सफल आयोजन की प्रशंसा की एवं कहा कि शहर में ऐसे आयोजनों से यहाँ की प्रतिभाओं को स्थापित कवियों का सानिध्य मिलेगा और साहित्य जगत में बोकारो की पहचान बढ़ेगी। वहीं मुख्य अतिथि बोकारो महिला काव्य मंच की अध्यक्ष एवं समाजसेविका काजल भलोटिया ने भी अयोजन समिति की सराहना करते हुए कहा कि इससे पूर्व भी शहर में आमंत्रित कवि सम्मेलन होते रहे हैं, परन्तु उनमें स्थानीय कवियों को विरले ही मंच दिया जाता था। इस कार्यक्रम में स्थानीय कवियों को भी स्थान देकर अयोजन समिति ने बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। अयोजन में पवन यादव, दीपक प्रसाद, खेदु महतो, अनिल श्रीवास्तव, अर्चना मिश्रा अरुण पाठक, मीडिया प्रभारी स्मिता, रिचा प्रदर्शनी, अमृता शर्मा, रेणुका सहाय एवं ज्योति जी का कार्यक्रम को सफल बनाने में विशेष सहयोग रहा