झारखण्ड राँची

शरीर मन ‐ भावना का संतुलन ही योग : स्वामी अंतरानन्द

नितीश_मिश्र

राँची(खबर_आजतक) : सरला बिरला विश्वविद्यालय के योगा एंड नेचरोपैथी विभाग द्वारा लाइफस्टाइल डिसऑर्डर्स: सॉल्यूशन विद योगा एंड अल्टरनेटिव थेरेपी शीर्षक पर दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस का विधिवत शुभारंभ मुख्य अतिथि रामकृष्ण मिशन आश्रम के स्वामी अंतरानंद महाराज, राँची विश्वविद्यालय की योग विभाग की पूर्व डायरेक्टर प्रोफेसर टुलु सरकार, प्रियदर्शी अमर, सुमित दूबे, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो गोपाल पाठक, कुलसचिव प्रो विजय कुमार सिंह, मानविकी संकाय की डीन डॉ नीलिमा पाठक, योग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ नम्रता चौहान आदि के द्वारा संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलन कर किया गया।
इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि रामकृष्ण मिशन आश्रम के स्वामी अंतरानन्द महाराज ने भारतीय संस्कृति की परंपराओं की चर्चा करते हुए योग क्या है? लाइफ स्टाइल डीजआर्डर के बारे में विस्तृत जानकारियां साझा की। उन्होंने कहा कि समस्या है तो समाधान भी हैं। योग आत्मानुशासन का कारक है। अनुशासित जीवन शैली अपनाना योग का संदेश है। योग केवल शारीरिक अनुशीलन ही नहीं, यह हमारे आंतरिक मन- बुद्धि और आत्मा के अनुशासन का कारक भी है।
उन्होंने कहा कि शरीर, मन – भावना का संतुलन ही योग है। उन्होंने कहा कि चित्त, चिंतन पर नियंत्रण करते हुए प्रकृति के अनुसार जीवन शैली अपनाए जाने की आवश्यकता है।
राँची विश्वविद्यालय की योग विभाग की पूर्व डायरेक्टर प्रोफेसर टुलु सरकार ने लाइफस्टाइल की चर्चा करते हुए जीवन व जीवन के उद्देश्य तथा शरीर के महत्व की चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमारा शरीर प्रकृति का अनुपम व अद्वितीय उपहार है। इसका ऑटोमेटिक मेंटेनेंस करने की व्यवस्था की हुई है। उन्होंने कहा कि आज के भाग दौड़ भरी जिंदगी में हमारा जीवन शैली अव्यवस्थित हो गया है। इससे व्यावहारिक जीवन में कई प्रकार की शारीरिक समस्याएं एवं मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हमने हमारे बीमारियों को स्वयं आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि योग जीवन जीने की पद्धति है। योग केवल शारीरिक क्रिया नहीं अपितु ज्ञान ,विज्ञान एवं मानसिक क्रिया है। योग के माध्यम से जीवन में काफी कुछ सकारात्मक परिवर्तन संभव हैं। उन्होंने उपस्थित सभी प्रतिभागियों को ब्रह्म मुहूर्त में जागने की विशेषता को बताया।

सरला बिरला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर गोपाल पाठक ने लाइफस्टाइल डिसऑर्डर की विस्तृत चर्चा करते हुए 1950 से लेकर अभी तक विकास के बढ़ते क्रम में ऐतिहासिक परिपेक्ष की विस्तृत चर्चा की। साथ ही उन्होंने प्राकृतिक कंपोनेंट्स की उपयोगिता एवं महत्व की भी व्याख्या की।
विशेष वक्ता के रुप में सुमित दूबे ने योगा के क्षेत्र में अपने कार्यों और अनुभव को साझा करते हुए कहा कि योग में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। योग की आज पूरी दुनिया में माँग बढ़ी है। उन्होंने व्यक्तिगत जीवन में अधिक योग करने की सलाह देते हुए योग के क्षेत्र में आजीविका को भी अपनाए जाने के लिए अपने काफी प्रेरक विचारों से सभी को मोटिवेट भी किया।
विशेष वक्ता प्रियदर्शी अमरजीत ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हेल्थ ही उत्तम धन है। आज मोबाइल हमारे जीवन में डिसऑर्डर को बढ़ावा देने में पहली भूमिका निभाई है। उन्होंने भारतीय जीवन मूल्यों एवं भारतीयता को अपनाए जाने की बात कही।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर विजय कुमार सिंह ने कहा कि योग भारत की उपज है, जिसमें तन मन के स्वस्थ होने की कल्पना की गई है। उन्होंने कहा कि आज योग विश्व की पहली जरूरत बन बैठी है। सभी को स्वस्थ रहने के लिए योग के मार्ग को अपनाने की आवश्यकता है। पाश्चात्य देशों के भौतिक सुख सुविधा संपन्न होने के बावजूद भी जीवन में शांति नहीं होना सबसे बड़ी समस्या है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से भारतीय जीवन मूल्यों में सनातन परंपराओं को जीवन में आत्मसात करते हुए उसे जीवंत रखने की प्रेरणा प्रदान किया।

राष्ट्रीय संगोष्ठी में अतिथियों का स्वागत परिचय देते हुए मानविकी एवं भाषा शास्त्र की डीन प्रोफेसर नीलिमा पाठक ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि आज सार्थक जीवन शैली एवं सार्थक जीवन दृष्टि का अभाव हो गया है। आज आध्यात्मिक मन की आवश्यकता महसूस की जा रही है। जीवन की प्रकृति एवं विशेषताओं का सही ढंग से समझना ही आध्यात्मिकता है। उन्होंने कहा कि मन के दुखी रहने से शरीर भी अस्वस्थ रहता है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक मन ही दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है। उन्होंने कहा कि भौतिक सुविधाओं की भरमार होने के बावजूद भी अध्यात्मिक कमी के कारण मन असंतुष्ट है।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन के पश्चात उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी से संबंधित स्मारिका का विमोचन भी किया गया।
इस कार्यक्रम के सफल आयोजन पर विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी डॉ प्रदीप कुमार वर्मा ने सभी को शुभकामनाएं दी है।
संगोष्ठी में सैकड़ों प्रतिभागियों ने सहभागिता की एवं प्रथम दिन के प्रथम तकनीकी सत्र में 31 टेक्निकल पेपर प्रस्तुत किए गए।
संगोष्ठी का ओवरऑल संचालन सहायक प्राध्यापक डॉ नीतू सिंघी के द्वारा किया गया एवं अंत में धन्यवाद ज्ञापन की औपचारिकता डॉ राधा माधव झा के द्वारा पूरी की गई।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर को गोपाल पाठक, कुलसचिव विजय कुमार सिंह, डॉ नीलिमा पाठक, डॉ संदीप कुमार, हरि बाबू शुक्ला, डॉ सुबानी बाड़ा, डॉ राधा माधव झा, आशुतोष द्विवेदी, अजय कुमार, प्रवीण कुमार, डॉ पार्थ पॉल, प्रो अमित गुप्ता, डॉ रिया मुखर्जी, डॉ पूजा मिश्रा, डॉ नम्रता चौहान, डॉ भारद्वाज शुक्ला, डॉ अर्चना मौर्य, श्री अंकित अनुभव, अमरेंद्र दत्त द्विवेदी, आकांक्षा कुमारी, अंजना सिंह, ओम प्रकाश, आशीष आदि उपस्थित थे।

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