झारखण्ड राँची राजनीति

केंद्र सरकार की सहमति के बाद भुईहर मुंडा को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देगी राज्य सरकार : आलमगीर

साजिश के तहत आदिवासियों की आबादी को सांख्यिकी स्तर पर कम कर जमीन लूटने का किया जा रहा प्रयास : बंधु

झारखंड गठन के 22 साल बाद भी राजकीय स्तर पर भुइहर मुंडा को अनुसूचित जनजाति का दर्जा न मिलना अत्यंत पीड़ादायक : राजेश ठाकुर

नितीश_मिश्र

राँची(खबर_आजतक) राज्य के संसदीय कार्य, ग्रामीण विकास, ग्रामीण कार्य एवं पंचायती राज विभाग के मंत्री और झारखण्ड विधानसभा में काँग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा है कि भुईहर मुंडा को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए राज्य सरकार पूरी तरीके से सहमत है। इस संबंध में सरकार ने अपनी अनुशंसा केंद्र सरकार को भेज दी है और केंद्र की सहमति मिलने के बाद भुईहर मुंडा को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे दिया जाएगा। आज राजधानी राँची में भुईहर मुंडा अनुसूचित जनजाति के लोगों के सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करते हुए आलमगीर आलम ने स्वीकार किया कि न केवल आरक्षण में बल्कि अनेक सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में भुईहर मुंडा जनजाति समुदाय के सदस्य असमर्थ हैं क्योंकि अधिकारिक रुप से उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की पूरी जानकारी है कि भुईहर मुंडा, मुंडा जनजाति की पहली उपजाति है लेकिन झारखण्ड गठन के बाद प्रशासनिक स्तर पर हुई त्रुटियों के कारण उन्हें अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) का दर्जा दिया गया जबकि बाद में भारत सरकार के जनजातीय मामलों से संबंधित मंत्रालय द्वारा इस जनजाति को सामान्य बताया गया जिससे भुईहर मुंडा जाति के लोगों की परेशानी बहुत अधिक बढ़ गयी है। इस दौरान आलमगीर आलम ने कहा कि मांडर की विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने इस मामले को झारखण्ड विधानसभा में उठाया था और उन्हें इस मुद्दे की गंभीरता की पूरी जानकारी है परन्तु संबंधित मंत्रालय के असहयोगात्मक रवैये के कारण भुईहर मुंडा को अबतक अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त नहीं हो सका है।

इस समारोह में बोलते हुए कांग्रेस के झारखण्ड प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि उनकी पार्टी हर स्तर पर भुईहर मुंडा के न्यायोचित अधिकार के लिए उनके आंदोलन को न केवल लड़ेगी बल्कि उसे उसके अंजाम तक भी पहुँचाएँगी। उन्होंने कहा कि झारखंड गठन के 22 साल के बाद भी राजकीय स्तर पर भुईहर मुंडा को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त न होना अफसोस और पीड़ा की बात है।

इस समारोह में अपने विचार व्यक्त हुए झारखंड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य एवं झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि एक साजिश के तहत अनुसूचित जनजाति की आबादी को सांख्यिकी रूप से कम करके दिखाने के लिए इस तरह की गड़बड़ियां की जाती है जिसमें ऊपर से तो लगता है कि यह प्रशासनिक स्तर पर त्रुटि है या लिपिकीय भूल है लेकिन वास्तव में इसकी पृष्ठभूमि में गहरी साजिश होती है और प्रयास जमीन लूटने का भी होता है। बंधु तिर्की ने कहा कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और अन्य अनेक राज्यों में भुईहर मुंडा को आधिकारिक रुप से अनुसूचित जनजाति का दर्ज़ा प्राप्त है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह भुईहर मुंडा को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए अपनी नयी अनुशंसा जल्द-से-जल्द केन्द्र सरकार को भेज दे और अनुसूचियाँ जनजाति में भुईहर मुंडा को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्रदान करे।

इस समारोह में बोलते हुए मांडर की विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि यदि आदिवासियों की आधारभूत एवं जमीनी समस्याओं पर अविलंब ध्यान नहीं दिया गया और उनकी उन विकट परेशानियों को दूर नहीं किया गया जिससे वे जूझ रहे हैं तो स्थिति बहुत जटिल हो जाएगी और इसका खामियाजा न केवल अनुसूचित जनजाति बल्कि पूरे झारखण्ड को उठाना पड़ेगा।

इस सम्मेलन में झारखण्ड के विविध जिलों से आए भुईहर मुंडा जनजाति के लोगों ने भाग लिया।

इस सम्मेलन में मुख्य रुप से सत्यप्रकाश मुंडा, शिरील टोप्पो, सोहरई मुंडा, मनीराम भुईहर, रामसकल भुईहर, सागर पाहन, जॉनसन मुंडा, बासीर मुंडा आदि ने विचार व्यक्त किए।

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