सीएनटी- एसपीटी एक्ट के बाद “अबुवा वीर अबुवा दिसुम दिखावा: शिवशंकर उराँव
नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): भाजपा अनुसूचित जनजाति के प्रदेश अध्यक्ष शिवशंकर उराँव ने कहा कि सीएनटी- एसपीटी एक्ट के बाद “अबुवा वीर अबुवा दिसुम” परन्तु 1932 का खतियान कहाँ ? अनुसूचित जनजाति एवं अन्य वननिवासी अधिकार अधिनियम 2006 अनुसूचित जनजाति एवं अन्य अधिकार अधिनियम 2006 में पारित हुआ। यह केंद्रीय कानून है जिसका अनुपालन करना राज्य सरकार का कर्तव्य है। कानून को पारित हुए 17 वर्ष बीत गया है। वर्तमान सरकार जो आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन की रक्षा करने के सपने दिखाकर सत्ता पर काबिज हुई लेकिन विगत 4 वर्षों का कार्यकाल पूरा होने को है तब आदिवासियों को वन अधिकार पट्टा दिए जाने की सूद हुई है। इससे यह प्रतीत होता है कि आगामी वर्ष होने वाले चुनाव को देखते हुए ही यह कवायत की जा रही है।
उन्होंने कहा कि वनों में रहने वाले वनों पर आश्रित आदिवासियों एवं वननिवासियों के हितों की लगातार अनदेखी करने वाली वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार इसे भी अपना एक चुनावी इवेंट के रुप में तो आयोजन नहीं कर रही है।समाज की भावनाओं को भुलाने में माहिर सरकार अबुआ वीर अबुआ दिशुम अभियान के बहाने एक बार फिर से नई पारी खेलना चाहते हैं यह स्पष्ट है। वन अधिकार पट्टा दिया जाना सरकारी कर्तव्य और अनुसूचित जनजातियों का हक है इसे देने में सरकार एवं प्रशासन की उदासीनता और सहयोग से परेशान वनाश्रित समाज को न तो व्यक्तिगत पट्टा मिला और न ही सामूहिक वन अधिकार पट्टा।
उन्होंने कहा कि आगामी 29 दिसंबर तक का अभियान क्या 4 वर्षों के गड्ढे को भर भी पाएगा या इस अभियान वन पट्टा के नाम पर गरीब वन निवासियों आदिवासियों से उगाही का एक नया फ्रंट तो नहीं खोल रही है। आदिवासी जनता सचेत रहकर सरकार की अंदरुनी मंशा को जाने, तभी अधिकार मिलेगा।