रिपोर्ट : सुमन सिंह
जमशेदपुर (ख़बर आजतक): लोक आस्था का पर्व छठ महापर्व के तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया। जमशेदपुर के विभिन्न घाटो मे वर्ती घुटनों तक जल में खड़े होकर सूर्य की उपासना की। खरना के बाद 36 घंटे का व्रत शुरू हो गया था। रविवार को शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना की
हाथ में खजूर की डलिया व सूप में ठिकुआ, मौसमी फल, गन्ना, मेवा, मिष्ठान रखकर घुटनों तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया। व्रतियां घाट पर सूर्य को अर्घ्य देकर उपासना कर रही थीं तो वहीं घाट पर किनारे बैठीं महिलाएं छठ मईया के गीत गा रही थीं। गीत प्रस्तुत किए तो संगी साथी महिलाओं ने नृत्य किया।
20 नवंबर को होगा समापन
छठी मईया को साक्षी मानते हुए सूर्य देव की पूजा अर्चना की गई। छठ महापर्व का समापन 20 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर होगा। नाक तक सिंदूर लगाकर विवाहित महिलाओं ने जल में घुसकर अर्घ्य दिया और एक घंटे तक उपासना करती रहीं। मान्यता है कि छठ मईया डूबते सूर्य में अर्घ्य देने से एक घंटा पहले जल में स्थान लेती हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।
डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद 20 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन हो जाएगा। उगते सूर्य को गाय के दूध से व्रतियां अर्घ्य देंगी। बड़ों का आशीर्वाद लेंगी।