झारखण्ड राँची

स्वर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना को बंद करने के खिलाफ सुनवाई के बाद कोर्ट ने विभिन्न विभागों से माँगा जवाब

नितीश_मिश्र

राँची (ख़बर आजतक): झारखंड हाईकोर्ट में शुक्रवार को स्वर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना को बंद करने के खिलाफ संतोष कुमार सोनी के द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका पर आज सुनवाई हुई, जो 4 अगस्त 2023 को दायर की थी।
उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार (भूतपूर्व एडवोकेट जनरल) ने माननीय हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच को अवगत कराया कि स्वर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना में अब तक ₹6.5 हजार करोड़ खर्च हो चुके हैं। लेकिन राज्य सरकार ने मार्च 2020 में इस योजना पर काम बंद करने का आदेश दिया है। सरकार की ओर से जारी उक्त आदेश बिल्कुल अनुचित और गैरवाजिब है। यदि परियोजना को पुन: आरंभ निर्णय जल्द ही नहीं लिया गया, तो सरकार को दोगुनी राशि केंद्र सरकार को दंड के तौर पर देनी होगी. ऐसे में वर्तमान सरकार की ओर से अचानक इस परियोजना का काम बंद करने का कोई औचित्य नहीं है।

जानकारी हो कि वर्ष 1978 में एकीकृत बिहार, उड़ीसा एवं पश्चिम बंगाल सरकार के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ था। इसी के तहत खरकई डैम प्रोजेक्ट किया जा रहा था। इस डैम के बनने से राज्य में लाखों लोगों के रोजगार का निर्माण होना था, झारखंड राज्य एवं उसके पड़ोसी राज्यों में कृषि हेतू सिंचित जमीन का निर्माण एवं पर्यटन की दृष्टि से राज्य का विकास होना था, लेकिन वर्ष 2020 में राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट को बिना कारण के बंद कर दिया गया। जबकि इस डैम के प्रोजेक्ट के लिए जमीन का अधिग्रहण भी हो चुका है और प्रभावित विस्थापितों को बसाने के लिए नया जगह भी बन चुका है।

गौरतलब है कि आज इस जनहित याचिका को झारखंड के माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। कार्यवाही में, माननीय डिवीजन बेंच ने झारखंड राज्य सरकार (प्रतिवादी क्रमांक 1) और जल विभाग (प्रतिवादी क्रमांक 2) के प्रतिनिधियों को अदालत की सहायता के लिए दस्तावेजों के साथ अगली तारीख पर पीठ के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया। बेंच ने मामले में अपने रुख के संबंध में दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड (प्रतिवादी क्रमांक 6) के अधिवक्ता एडवोकेट अभिषेक यादव से भी सवाल पूछे, यह परियोजना एवम् डैम के कार्य को किस प्रकार बाधित किया। इन प्रश्नों का विधिवत उत्तर दिया गया और विस्तारपूर्वक यह न्यायालय को अवगत करवाया गया की जल विभाग ने किस प्रकार सिर्फ एक पत्र द्वारा सारे काम पर बिना कारण बताए रोक लगा दी और पिछले तीन सालों से न तो रोक हटाई और न ही उस रोक पर प्रश्न करने पर कोई जवाब दिया।

इसके बाद राज्य सरकार और जल विभाग एवम् अन्य उत्तरदाताओं के प्रॉक्सी वकील ने निर्देश लेने के लिए अधिक समय देने का अनुरोध किया। जिस पर माननीय न्यायालय ने राज्य सरकार और जल संवर्धन विभाग के अधिकारियों को व्यक्तिगत उपस्थिति में हाजिर हो कर सभी दस्तावेजों सहित यह कारण बताने को आदेशित किया की खरकाई डैम के निर्माण कार्य को क्यों बाधित किया गया और प्रदेश की जनता, उनका रोजगार, किसानों के पानी, प्रदेश के पर्यटन और उससे जुड़ी रोज़ी रोटी समेत, सभी हितधारको के भविष्य को क्यों बाधित रखा है।

इस जनहित याचिका की अगली सुनवाई की तारीख 6 मार्च 2024 को दी गई हैं l

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