बच्चों को करेक्ट करने के लिए उनसे कनेक्ट होना जरूरी : समणी मधुर प्रज्ञा जी
बोकारो (ख़बर आजतक) : चास के माणकचंद जी छल्लानी निवास में विराजित निर्देशिका समणी मधुर प्रज्ञा जी ने अपने प्रतिदिन की प्रवचन श्रृंखला में गुरुवार को घर संवारने के गुर बताए। उपस्थित श्रावकों को संबोधित करते हुए जहां अहिंसा और जीवन में संयम की सीख दी, वहीं इसके पूर्व पौधों को सींचने के विषय पर अपने ओजपूर्ण विचारों से सभी को अवगत कराया। खासकर, माताओं को अपने बच्चों की देखभाल करने के तरीके बताए। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल के निर्देशानुसार समणी मधुर प्रज्ञा जी, समणी शुभ प्रज्ञा जी एवं समणी मनन प्रज्ञा जी के सानिध्य में गुड पैरेंटिंग एवं चिंता को चिंतन में बदलने के विषय पर प्रकाश डाला गया।
इसका प्रारंभ मंगलाचरण से हुआ। इस विषय पर समणी मधुर प्रज्ञा जी ने धारा प्रवाह रूप में मधुर और सहज सरल भाषा में प्रवचन दिया। सभी मंत्रमुग्ध हो गए। स्मृति विकास के लिए महाप्राण ध्वनि का प्रयोग कराया। इसके बाद स्वयं के निर्माण पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि मां दो तरह की होती हैं- एक मक्खी की तरह और एक मधुमक्खी की तरह। मक्खी बुरा-बुरा, सब कुछ ग्रहण कर लेती है, लेकिन मधुमक्खी अच्छा-अच्छा ग्रहण करती है। बच्चों को करेक्ट करने से पहले उनसे कनेक्ट होना चाहिए।
खान पान की शुद्धि के बारे में कहा कि जो तेल-मिर्च, मसाला अधिक खाते हैं वे लो वाइब्रेशन क्रिएट करते हैं। जो कच्ची सब्ज़ी कम तैलीय पदार्थ खाते हैं वे हाई वाइब्रेशन क्रिएट करते हैं। घर का माहौल शान्तिपूर्ण होना चाहिए।
समणी मनन प्रज्ञाजी ने कहा कि बच्चों का विकास मां के गर्भ में ही होता है। जब बच्चे गर्भ में होते हैं तो मां को बहुत सी बातों का ध्यान रखना चाहिए। ज्यादा गुस्सा नहीं करना आवेश में नहीं रहना धर्म में रुचि रखना स्वाध्याय करना आदि। प्रश्न मन से रहना। चिंता हो पर कुछ अंशो में। अपनी संस्कृती के साथ मिलकर जॉब करना सुशोभित करता है। भारतीय संस्कृति बहुत-बहुत उन्नत संस्कृति है। सेमिनार का समापन
आभार ज्ञापित कर मंत्री आरती पारख ने किया। मौके पर अध्यक्ष कनक जैन सहित जयचन्द बांठिया, सुशील, मानकजी, मदन चौरड़िया, रेणु चौरड़िया, प्रमोद चौरड़िया आदि मौजूद रहे। उक्त जानकारी मीडिया प्रभारी सुरेश बोथरा ने दी।