जहाँ भी जानकारी मिले तुरंत 1098 पर सूचना दें– शंकर रवानी अध्यक्ष बाल कल्याण समिति
बोकारो (ख़बर आजतक) : बाल विवाह एक सामाजिक कुरुति है और इसे सामाजिक तौर पर संगठित होकर ही दूर किया जा सकता है ।
इसके पीछे अशिक्षा, और जन जागरूकता मूल कारण है।
यह बातें आज बाल कल्याण समिति बोकारो के अध्यक्ष शंकर रवानी ने कहीं। उन्होंने कहा कि आगामी 10 मई को अक्षय तृतीया के अवसर पर सामूहिक बाल विवाह कई मंदिरों में होते हैं। इसके लिए हम लोगों ने कमर कस रखी है । लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है और चाइल्ड हेल्पलाइन, सहयोगिनीसंस्था, जिला बाल संरक्षण इकाई के सहयोग से हम लोग जिला प्रशासन के नेतृत्व में बाल विवाह जैसी कुरीतियों को रोकने का प्रयास कर रहे हैं।
जनप्रतिनिधियों अधिकारियों और क्षेत्र में कार्यरत स्वयंसेवी संस्थाओं से यह अपील है कि अपने प्रत्येक कार्यक्रम में बाल विवाह जैसी कुरीतियों के संबंध में विस्तार से जानकारी दें।
1098 पर सूचना देकर किसी भी बालिका को वधू बनने से रोका जा सकता है।
बाल विवाह से एक बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास अवरुद्ध हो जाता है उसके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 तथा किशोर न्याय ( बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 अंतर्गत धारा 75 पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यदि किसी बच्चे का बाल विवाह होता है तो वह क्रूरता का शिकार हो रहा है। इसके खिलाफ जेजे एक्ट की धारा 75 के तहत दो साल की सजा और एक लाख जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
राज्य सरकार द्वारा बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 धारा 16 की उप धारा 01 के तहत प्रत्येक क्षेत्र के प्रखंड में प्रखंड विकास पदाधिकारी को बाल विवाह निषेध अधिकारी नियुक्त किया गया है। किसी भी बाल विवाह की सूचना प्राप्त होने पर प्रखंड विकास पदाधिकारी सह नोडल बाल विवाह निषेध पदाधिकारी बाल विवाह घटना प्रपत्र में पूर्ण जानकारी बाल कल्याण समिति और उच्च अधिकारियों को उपलब्ध कराएंगे। लेकिन बोकारो जिले में ऐसा व्यवहार में नहीं देखा जा रहा है। इसके लिए बाल कल्याण समिति सभी बाल विवाह निषेध अधिकारी को सूचना उपलब्ध करा रही है।
बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 को अधिक प्रभावी बनाने हेतु बाल विवाह निषेध अधिकारी के रूप में निम्नलिखित पदों को भी नियुक्त किया गया है–
पंचायत सचिव पंचायत स्तर पर, महिला पर्यवेक्षिका, सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, सभी अंचल अधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, उपायुक्त, प्रमंडलीय आयुक्त और झारखंड राज्य के स्तर पर निदेशक समाज कल्याण।
यदि इन सब की अतिरिक्त कहीं भी बाल विवाह की सूचना प्राप्त होती है तो 1098, बाल कल्याण समिति,बाल संरक्षण इकाई, चाइल्ड हेल्पलाइन, सहयोगिनी, संबंधित पंचायत सचिव जनप्रतिनिधि के माध्यम से सूचना दे सकते हैं।
अभी हाल ही में अक्षय तृतीया पर बाल विवाह को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय की खण्डपीठ ने एक अहम फैसले में यह कहा है कि जिस पंचायत में बाल विवाह की घटना पाई जाएगी वहां के पंचों और सरपंचों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
इस दौरान सहयोगिनी के निदेशक गौतम सागर ने कहा कि कैलाश सत्यार्थी चेल्ड्रन फाउंडेशन के सहयोग से झारखंड के सभी जिलों में बाल विवाह के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। जिसके सुखद परिणाम निकल कर सामने आ रहे है।