झारखण्ड बोकारो

33 साल बाद अपने स्कूल पहुंचे डीपीएस बोकारो के प्रथम बैच के विद्यार्थी, ताजा कीं यादें

भूतपूर्व छात्र सम्मेलन में इस्पातनगरी के शैक्षणिक उत्थान में सहयोग का दिया आश्वासन

बोकारो (रविवार) : रविवार का दिन डीपीएस बोकारो के लिए एक यादगार अनुभवों से भरा दिन रहा। अवसर था भूतपूर्व विद्यार्थियों के सम्मेलन स्मृतिधारा का। खास बात यह रही कि इस सम्मेलन में विद्यालय की स्थापना के बाद प्रथम बैच 1991 के विद्यार्थी शामिल हुए। तीन दशक से भी अधिक समय के बाद आज जिंदगी के खास मुकाम पर पहुंचे इन पुराने विद्यार्थियों का समागम अपने-आप में अविस्मरणीय व अनूठा अनुभव रहा। सभी ने अपने आह्लादित हो अपने पुराने शिक्षकों का आशीर्वाद लिया तथा कौतूहल, उत्साह और पूरी उत्सुकता के साथ अपने विद्यालय परिसर का भ्रमण किया।

भावनात्मक स्मृतियां संजोए 33 वर्ष पुराने अतीत में जाकर वे अपने क्लासरूम, खेल के मैदान, सभागार सहित स्कूल कोने-कोने को निहारते देखे गए। उन्होंने विद्यालय में आए बदलावों को देखा, आधारभूत संरचनाओं में आई बेहतरी पर प्रसन्नता व्यक्त की तथा आपस में अपने विचार व अनुभव साझा किए। साथ ही, इन पलों को अपने मोबाइल फोन के कैमरे में कैद भी किया। इस यादगार घड़ी का साक्षी उन दिनों के विद्यालय के शिक्षक भी बने। उस समय के विद्यालय के शिक्षक और वर्तमान में स्कूल के प्राचार्य डॉ. ए. एस. गंगवार, वयोवृद्ध शिक्षिका शीला राय शर्मा, डॉ. एस. एस. महापात्रा एवं डॉ. अरुणजी भी इस अवसर पर उपस्थित रहे। उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया। इसके पूर्व, विद्यालय की छात्राओं ने सभी आगुंतक भूतपूर्व विद्यार्थियों का तिलक-चंदन लगाकर तथा पुष्प भेंट कर स्वागत किया। स्वागत गान एवं विद्यालय गीत के उपरांत बच्चों ने विद्यालय के इस संस्थापक बैच के पुरातन छात्र-छात्राओं के सम्मान में आर्केस्ट्रा और मनोरम नृत्य तथा संगीत विभाग के शिक्षकों ने सदाबहार गीतों की नन-स्टॉप मेडली से समां बांध दिया। अपने संबोधन में प्राचार्य डॉ. गंगवार ने कहा कि बीता हर साल एक अनुभव देकर जाता है। उन्होंने भूतपूर्व विद्यार्थियों से आज के बच्चों का मार्गदर्शन कर उनका भविष्य संवारने की दिशा में उनसे सहयोग की अपील की। इसके आलोक में पहले बैच के सभी भूतपूर्व विद्यार्थियों ने डीपीएस बोकारो के साथ-साथ इस्पातनगरी बोकारो के शैक्षणिक विकास में अपनी ओर से हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। खास तौर से बच्चों को उद्यमशीलता की अवधारणा व महत्ता समझाने और उनके करियर मार्गदर्शन की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।
कार्यक्रम में पुराने शिक्षक रहे डा.अरुण, श्रीमती शर्मा एवं श्री महापात्रा ने भी उस जमाने के अपने विचार साझा किए। तदुपरांत बारी-बारी से भूतपूर्व विद्यार्थियों ने अपने अनुभव बताए। किसी ने डीपीएस बोकारो में आना अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ निर्णय बताया, तो किसी ने विद्यालय की तुलना साकेत (अयोध्या धाम) से की। किसी ने विद्यार्थी जीवन की शरारतें, नादानियों अपनी कमजोरियों और खासियतों को हास्यास्पद अंदाज में प्रस्तुत कर गुदगुदाया तो किसी ने पुराने वाकये बताते हुए शिक्षकों के साथ अपने जुड़ाव की चर्चा की। इस बीच शिक्षक डा. अरुणजी का गायन और भूतपूर्व छात्र डा. सुमित सेठ की सहधर्मिणी चिकित्सक डा. वारिजा की कविता – लिखूं कि जिंदगी तुम्हारे बाद तुम्हें याद करे… ने सबका मन मोह लिया। इस क्रम में प्रथम बैच की स्मृतियों को संजोई एक स्मारिका मेमरीबिलिया- स्मृतिधारा का विमोचन भी किया गया। उपस्थित भूतपूर्व विद्यार्थियों में आशीष वर्मा, अमरेश ओझा, कुमार रंजन, डॉ. मनोज श्रीवास्तव, तुषार कुमार सिंह, अनुपमा, राजीव रंजन, प्रणव झा, नितिन चरण, गौतम, मृत्युंजय कुमार, डॉ. सुमित सेठ, डॉ. सुष्मिता प्रकाश, संजू सिन्हा, जया सिंह आदि शामिल रहे। अंत में प्राचार्य डॉ. गंगवार ने सभी को स्मृति-फलक भेंटकर सम्मानित किया। इसके बाद भूतपूर्व विद्यार्थियों ने विभिन्न खेलों का भी आनंद लिया तथा बचपन की यादें ताजा कीं।

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