राँची

आदिवासियों का अस्तित्व खतरे में : फूलचंद तिर्की

नितीश_मिश्र

राँची(खबर_आजतक): केंद्रीय सरना समिति एवं अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की बैठक केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय कार्यालय 13आरटीआई बिल्डिंग कचहरी परिसर में गुरुवार को हुई। इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने किया। इस बैठक में आदिवासियों के अस्तित्व को लेकर चिंतन मंथन किया।

केंद्रीय सरना समिति के केन्द्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि प्राकृतिक पूजक आदिवासियों के अस्तित्व ख़तरे में हैं। आदिवासियों की परंपरा संस्कृति हक़ अधिकार पर चौतरफ़ा हमला किया जा रहा है। कुरमी कुड़मी को आदिवासी बनाया जा रहा हम आदिवासियों को हिंदू बनाया जा रहा है।आदिवासी समाज कुर्मी कुड़मी को कभी आदिवासी बनने नहीं देगा। कुरमी कुड़मी आदिवासी बनकर अनुसूचित जनजाति का लाभ लुटना चाहते हैं।

अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष सत्यनारायण लकड़ा ने कहा कि कुड़मी कुरमी का आदिवासी परम्परा संस्कृति से कोई मेल नहीं है वो मूर्ति पूजक है जबकि आदिवासी प्राकृतिक पूजक है। जन्म से लेकर मृत्यु तक सभी नेग संस्कार कुरमी कुडमी से अलग हैं। कुड़मी कुरमी मरने के बाद उनकी आत्मा को मुक्ति देते हैं और आदिवासी मरने के बाद उसकी आत्मा को अपने घर पर जगह देते हैं साथ ही कुरमी कुड़मी पंडित से शादी ब्याह कराते हैं जबकि आदिवासी पहान के द्वाराशादी ब्याह कराते हैं। उन्होंने कहा कि पूरे राज्य में आदिवासी कुड़मी कुरमी के विरोध में सड़कों पर उतरेंगे।

इस मौक़े पर केंद्रीय सरना समिति के संरक्षक भुवनेश्वर लोहरा, सत्यनारायण लकड़ा, महिला शाखा अध्यक्ष नीरा टोप्पो, नगिया टोप्पो, मीरा बिन्हा, विनय उराँव, प्रमोद एक्का, राधा हेमरोम, उषा खलखो, ज्योत्सना केरकेट्टा अंजु तिर्की आदि शामिल थे।

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