झारखण्ड राँची

कुरमी/कुड़मी महतो को आदिवासी बनाने के विरोध में 11 फरवरी को पैदल मार्च करेगा आदिवासी संगठन

नितीश_मिश्र

राँची(खबर_आजतक): विभिन्न आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन का आयोजन केंद्रीय धूमकुड़िया मे किया गया। इस संवाददाता सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि कुरमी /कुड़मी महतो कभी भी आदिवासी नहीं थे और वे नॉर्थ बिहार एवं अन्य इलाकों से झारखण्ड में आकर बसे हैं और वे अपने को शिवाजी का वंशज और खुद को क्षत्रिय कुल का बतलाते आए हैं, आजादी की लड़ाई में भी इन्होंने हिस्सा नहीं लिया था। इस दौरान कहा गया कि यह अंग्रेजों द्वारा हड़पी गई जमीन को देखभाल करने का कार्य करते थे और अंग्रेजों के साथ मिले हुए थे, जब 1950 -1952 में भारत सरकार द्वारा आदिवासियों की सूची बनाई जा रही थी तो इस सूची में भी इन्होंने खुद को क्षत्रिय एवं शिवाजी के वंशज बतलाया, बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र इत्यादि राज्यों में रैलीकर वह खुद को क्षत्रिय बतलाते आ रहे हैं।

आदिवासियों के साथ कुरमी/कुड़मी महतो का रोटी बेटी का रिश्ता कभी नहीं रहा है, ये मुख्य रूप से आदिवासियों की जमीन आदिवासियों के लिए आरक्षित मुखिया, प्रमुख, जिला परिषद एवं नौकरी को हड़पने के लिए आज वह खुद को आदिवासी होने का दावा रहे हैं। आदिवासियों के हकमारी करने हेतू खुद को आदिवासी बतला रहे हैं इनका रीति रिवाज, संस्कृति, भाषा कहीं से भी आदिवासियों से मेल नहीं खाता है फिर भी ये आदिवासी होने का दावा कर रहे हैं। आदिवासी समाज उनके गलत मंसूबो को कभी कामयाब नहीं होने देगा।

इस दौरान प्रेसवार्ता में बतलाया गया कि 30 जनवरी को होने वाले विरोध मार्च 11 फरवरी को होगी, पैदल विरोध मार्च मोराबादी मैदान से बिरसा चौक तक सुबह 10:00 बजे से हो शुरू होगी। इस पैदल विरोध मार्च में कुरमी /कुड़मी महतो को आदिवासी बनाने का विरोध किया जाएगा।

इस प्रेसवार्ता में संयुक्त पड़हा महासभा खूँटी के अध्यक्ष सोमा मुण्डा, राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा झारखंड अध्यक्ष रवि तिग्गा, केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फ़ुलचन्द तिर्की, राजधानी सोर्वता समिति के संरक्षक लक्ष्मी टुडू, केन्द्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा, आदिवासी छात्र संघ के अध्यक्ष सुशील उराँव, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष कुदरसी मुंडा, निरंजना हेरेंज टोप्पो जय आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष निरंजना हेरेंज टोप्पो, केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की, आदिवासी लोहरा समाज के केंद्रीय अध्यक्ष बालमुकुंद लोहरा, क्षेत्रीय पड़हा समिति हटिया के अध्यक्ष अजीत उराँव, आदिवासी खड़िया समाज झारखंड अध्यक्ष वासुदेव खड़िया, जगलाल पहान, मुख्य पहान, शिबु पहान, 22 पडहा मुख्य पहान, बलकु उराँव, सचिव झारखंड आदिवासी संयुक्त मोर्चा, आदिवासी महासभा के संयोजक देव कुमार धान, केन्द्रीय धुमकुड़िया के कोषाध्यक्ष सूरज खलखो, राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज मुंडा, जलेश्वर उराँव राष्ट्रीय राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के महासचिव जलेश्वर उराँव, राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोमे उराँव, राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के राष्ट्रीय सलाहकार मीणा उराँव, राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा अध्यक्ष राँची चंपा उराँव, राजेश लिंडा, आदिवासी लोहरा समाज के अध्यक्ष अभय भूटकुँवर, कैलाश उराँव, छेदी मुण्डा, नारायण उराँव, बुधवा उराँव, राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के प्रदेश अध्यक्ष मघी उराँव आदि उपस्थित थे।

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