झारखण्ड बोकारो शिक्षा

डीपीएस बोकारो के वरिष्ठ कला शिक्षक सुनील को मिला राष्ट्रीय ख्याति-प्राप्त एमएफ हुसैन अवार्ड

एब्सट्रेक्ट पेंटिंग में महारथ है हासिल, शानदार उपलब्धि पर प्राचार्य डॉ. गंगवार ने दी बधाई

बोकारो (ख़बर आजतक) : डिजाइनिंग के क्षेत्र में अब तक सैकड़ों बच्चों का भविष्य संवार चुके डीपीएस बोकारो के वरिष्ठ कला शिक्षक एवं शहर के जाने-माने पेंटिंग आर्टिस्ट सुनील कुमार को एमएफ हुसैन अवार्ड से नवाजा गया है। भारत सरकार के एमएसएमई से निबंधित, महाराष्ट्र सरकार से अधिकृत एवं आईएसओ 9001 : 2015 से प्रमाणित महार्ट कॉन्टेस्ट (स्किल डेवलपमेंट ड्राइंग लिटरेसी मिशन) ने पूरे झारखंड से एकमात्र श्री कुमार को इस पुरस्कार के लिए चयनित किया है। इसके तहत उन्हें एक वर्ष तक प्रतिमाह 25 हजार, 700 रुपए (कुल 308400 रुपए) की स्पेशल स्कॉलरशिप मिलेगी, साथ ही अलग से 7000 रुपए की नकद पारितोषिक भी प्रदान की जाएगी। महार्ट कॉन्टेस्ट का आयोजन इसी वर्ष जनवरी महीने में किया गया था। सभी मानदंडों पर खरा उतरने के बाद श्री कुमार एमएफ हुसैन अवार्ड के लिए चुने गए। बुधवार को डाक से उनका सम्मान-पत्र व प्रतिभागिता प्रमाण-पत्र विद्यालय पहुंचा। इस उपलब्धि से अपने विद्यालय, शहर और पूरे राज्य का नाम गौरवान्वित करने वाले शिक्षक सुनील को विद्यालय के प्राचार्य डॉ. एएस गंगवार ने उनका अवार्ड सौंपते हुए उन्हें बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

सुनील कुमार द्वारा बनाई गई पेंटिंग

राजकीय सम्मान सहित मिल चुके हैं कई अवार्ड
उल्लेखनीय है कि सुनील इससे पहले भी कई बार राष्ट्रीय स्तर का सम्मान पाकर अपने विद्यालय और शहर का नाम कला के क्षेत्र में रोशन कर चुके हैं। वर्ष 2015 में झारखंड सरकार की तरफ से राजकीय सम्मान के अलावा दो-दो बार अंतर विश्वविद्यालय युवा महोत्सव में वह स्वर्ण पदक से सम्मानित हो चुके हैं। इसके साथ ही सर्वश्रेष्ठ शिक्षक सम्मान, जोधपुर में ऑल इंडिया आर्ट एग्जीबिशन के दौरान मिला सर्वश्रेष्ठ पेंटिंग अवार्ड आदि उनकी उपलब्धियों में प्रमुखतम हैं। जिस पेंटिंग के लिए उन्हें एमएफ हुसैन अवार्ड हेतु चयनित किया गया है उसमें उन्होंने सामाजिक भावनाओं को सकारात्मक रूप में दर्शाया है। लगभग 55 वर्षीय सुनील मॉडर्न आर्ट की नेशनल गैलरी की सर्वोच्च समिति के सदस्य भी हैं। दिल्ली, कोलकाता, पटना, मणिपुर, महाराष्ट्र, भोपाल, राजस्थान, ओडिशा सहित देश के अलग-अलग जगहों में दर्जनों बार उनकी कलाकृतियों की प्रदर्शनी राष्ट्रीय स्तर पर सराहना बटोर चुकी हैं। इसी प्रकार, देश के विभिन्न भागों में उन्होंने पेंटिंग कैंप में भी हिस्सा लिया है। वहीं, देश-विदेश में विभिन्न आर्ट गैलरियों में उनकी पेटिंग्स का कलेक्शन लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं।

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बचपन से ही पेंटिंग में थी रुचि, जानिए क्या है एब्सट्रेक्ट पेंटिंग
पटना से बैचलर और कोलकाता से मास्टर इन फाइन आर्ट्स की डिग्री अर्जित करने वाले सुनील को बचपन से ही पेंटिंग के क्षेत्र में रुचि थी। उन्हें विशेष रूप से एब्स्ट्रेक्ट पेंटिंग (अमूर्तन कला) में महारत हासिल है। किसी भी वस्तु या दृश्य को देखकर उसे अपने तरीके से नए स्वरूप में उकेर देना उनकी कलाकारी की खासियत है। एब्सट्रेक्ट पेंटिंग कला का वह स्वरूप है, जिसमें हम अपनी कल्पना के शुद्ध रूप को कैनवास पर उतारने का प्रयास करते हैं। इसके अंतर्गत बनाई गई हर एक पेंटिंग का अपना एक नया ही स्वरूप होता है। इसमें किसी दृश्य वास्तविकता का सटीक चित्रण प्रस्तुत करने की बजाय इसके प्रभाव को प्राप्त करने के लिए आकृतियों, रंगों, रूपों और संकेतों के निशान का उपयोग किया जाता है।

विद्यालय परिवार के प्रति जताया आभार
एक खास बातचीत में एमएफ हुसैन अवार्डी सुनील कुमार ने कहा कि आज वह जो कुछ भी हैं, इसके पीछे डीपीएस बोकारो परिवार का महत्वपूर्ण एवं केंद्रीय योगदान रहा है। उन्होंने विद्यालय के प्राचार्य डॉ. ए एस गंगवार के मार्गदर्शन एवं सहयोग के प्रति आभार व्यक्त किया है। कहा कि विद्यालय ने उन्हें अपनी प्रतिभा निखारने का हर अवसर दिया है, जिसे वह कभी नहीं भूल पाएंगे। विदित हो श्री मोदी ने वर्ष 1998 में डीपीएस बोकारो में अपनी सेवा शुरू की थी।

कला में भी करियर की उज्ज्वल संभावनाएं
श्री कुमार ने बताया कि अब वह समय नहीं रहा कि केवल मेडिकल-इंजीनियरिंग आदि के क्षेत्र में ही बच्चे अपना करियर बना सकते हैं, कला के क्षेत्र में भी उज्जवल भविष्य की असीम संभावनाएं हैं। चित्रांकन भी आज एक प्रकार से अभियंत्रण बन चुका है, जिसके तहत एनआईएफटी, एनआईडी, यूसीईईडी, वास्तुकला आदि में अपना भविष्य संवारा जा सकता है। डीपीएस बोकारो के सैकड़ों विद्यार्थी उनके मार्गदर्शन में आज उक्त कोर्स सफलतापूर्वक पूरा कर खुशहाल जीवन जी रहे हैं। इतना ही नहीं, कला में पारंगत कई निर्धन विद्यार्थियों को वह व्यक्तिगत रूप से निःशुल्क प्रशिक्षण देकर उनका भविष्य संवार चुके हैं। अपने शहर में कला के विकास को लेकर वह समय-समय पर विभिन्न गतिविधियों का भी आयोजन कराते रहे हैं।

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