झारखण्ड बोकारो

महान स्वतंत्रता सेनानियों का शहादत दिवस मनाने में हमे गर्व महसूस होता है : मंजूर अंसारी

बोकारो (ख़बर आजतक): गुरुवार को डॉ जाकिर हुसैन एजुकेशनल एंड डेवलपमेंट वेलफेयर सोसाइटी ने महेशपुर कॉलोनी चौक पर शहीद शेख भिखारी एवं टिकैत उमराव सिंह जी का शहादत दिवस धूमधाम से मनाई गई।, सभी ने उनके चित्रों पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। अध्यक्षता हाजी लतीफ अंसारी तथा संचालन हसनुल्लाह अंसारी ने कि।इस पावन अवसर पर अगल बगल गांव के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित हुए।सभी आगमन स्थितियों का पुष्प गुच्छ देकर एवम माला पहनाकर स्वागत किया गया।अपने संबोधन मे झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश अध्यक्ष मंजूर अंसारी ने कहा कि इन महान स्वतंत्रता सेनानियों का शहादत दिवस मनाने में हमे गर्व होता है। देश के आजादी में शहीद शेख भिखारी टिकैत उमराव सिंह जैसे वीरों ने अंग्रेजों को छक्के छुड़ा दिए। अंतः( एकीकृत बिहार) झारखंड छोड़ने में उन्हें मजबूर कर दिया। दोनों के जुगल जोड़ी देश में काफी मशहूर था। दोनों ने ठान लिया था कि देश की रक्षा के लिए एवं अंग्रेज को देश से भगाने के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करेंगे। आखिरकार अंग्रेजों को रांची तक घुसने नहीं दिया चुटु पालू पहाड़ से ही उन्हें बेरंग लौटने में मजबूर कर दिया। आखिरकार अंग्रेजों ने धोखे से गिरफ्तार कर उन्हें खुली बरगद के पेड़ पर फांसी दे दी गई। शहीद शेख भिखारी का जन्म एक साधारण बुनकर अंसारी परिवार मे 2 अक्टूबर 1819 मे ओरमांझी थाना क्षेत्र स्थित खुदिया गांव में हुआ है।वह बचपन से ही एक कुशल हुनहार प्रशिक्षित तलवार बाज बहादुर जवान थे। देश प्रेम की जज्बा उनपर कुट- कुट कर भरा हुआ था। जब 1857 में देश मे स्वतंत्रता संग्राम छिडा तब वह 38 वर्ष के थे। शहीद शेख भिखारी ओरमांझी खटंगा के राजा टिकैत उमराव सिंह के दीवान एवं सेनापति थे। टिकैत उमराव सिंह ने उनके बहादुरी को अच्छी तरह से जानते थे। 1857 को पुरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम छिड गया था। दोनों ने यह तय किया कि हमे भी देश के आजादी के लिए इस संग्राम मे कूदना चाहिए। उन दोनों ने लोगों को जागरूक कर एक फौज तैयार किया अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ लडने के लिए। इन दोनों ने रणनीति बनाए की किसी भी तरह से अंग्रेजों को यहां पांव पसारने नहीं देंगे तथा रांची को कब्जा करने नहीं देंगे। एक रणनीति के तहत उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना को रोकने के लिए चूट्टू पालू घाटी के पेड़ों को काटकर रास्ते को रोक दिया गया ताकि ईस्ट इंडिया सेना आगे नहीं बढ़ सके। इस छाप युद्ध कार्रवाई से ईस्ट इंडिया के सेना बौखला उठे। दोनों को गिरफ्तार करने के लिए आदेश जारी कर दिया। धोखा से दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया बगैर करवाई बगैर कोर्ट के प्रक्रिया पूरी किए हुए कानून को ताक पर रखते हुए खुली बरगद के पेड़ पर दोनों जुगल जोड़ी को फांसी दे दी गई। आज इनके शहादत को हम सभी सलाम करते हैं।आगे बोलते हुए मंजूर अंसारी ने कहा कि उतरी क्षेत्र पंचायत मे शामिल नहीं होने के कारण इस क्षेत्र के लोग मूलभूत सुविधा से वंचित हैं। पंचायत से मिलने वाली सुविधा इन तक नही पहुंच पाती है।हमलोगों ने लगातार राज्य सरकार एवं संबंधित विभाग के मंत्री माननीय आलमगीर आलम जी को समस्या से अवगत कराते रहे एव प्रेसर बनाते रहे।पंचायती राज्य मंत्री माननीय आलमगीर आलम जी के सकारात्मक पहल से उतरी क्षेत्र पंचायत मे शामिल होने का आसार दिखने लगा है। खरमास के बाद उत्तरी क्षेत्र को तोहफा मिल सकता है।इस मौके पर अब्दुल गफ्फार अंसारी रघुनाथ महतो अब्दुल जब्बार चौहान महतो गुलाम मुस्तफा हाजी इसाहक अंसारी अयूब अंसारी सरोज महतो इश्तियाक अंसारी हकबाबू अंसारी शब्बीर अंसारी अर्जुन मास्टर कोल सिंह शंकर मंडल जमील अख्तर नबी हुसैन शीतल देवी हसन इमाम जाफर जियाउल अब्दुल कयुम अंसारी इत्यादि सामिल थे

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