राँची

राँची: नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ में किया गया “मुस्लिम महिलाओं के अधिकार: मुस्लिम पर्सनल लॉ की समीक्षा” का किया गया आयोजन

नितीश_मिश्र

राँची(खबर_आजतक): नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ (एनयूएसआरएल) ने राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से रविवार को नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ में “मुस्लिम महिलाओं के अधिकार: मुस्लिम पर्सनल लॉ की समीक्षा” पर पूर्वी क्षेत्रीय परामर्श का आयोजन किया। इस परामर्श का उद्देश्य मुस्लिम पर्सनल लॉ और भारतीय मुस्लिम महिलाओं पर इसके प्रभाव पर एक संवाद प्रदान करना है।

इस कार्यक्रम की शुरुआत एनयूएसआरएल की डीन डॉ. संगीता लाहा ने की और कुलपति, एनयूएसआरएल, प्रो. (डॉ.) केशव राव वुरकुला ने स्वागत भाषण दिया।

इस कार्यक्रम में सरला सोम, सहायक विधि अधिकारी, राष्ट्रीय महिला आयोग, नई दिल्ली सहित कानूनी और अकादमिक दिग्गजों ने भाग लिया जिन्होंने हमारे समाज में मुस्लिम महिलाओं के कद को मजबूत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

इस कार्यक्रम में अमितेश लाल प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय, जमशेदपुर, न्यायमूर्ति मृदुला मिश्र (सेवानिवृत्त), कुलपति, चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (सीएनएलयू), पटना ने भाग लिया, जिन्होंने गैर – संहिताबद्ध मुस्लिम पर्सनल लॉ की कमी पर जोर दिया। ।

इस दौरान उपस्थिति में अन्य गणमान्य व्यक्तियों में ए. आलम, झारखंड उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता, दर्शना पोद्दार, झारखण्ड उच्च न्यायालय की अतिरिक्त महाधिवक्ता, प्रो. (डॉ.) शची चक्रवर्ती, विधि विभाग, कलकत्ता विश्वविद्यालय, मो. तौफ़ीक़ल हसन, प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय, धनबाद, डॉ. मीना केतन साहू, एचओडी, पीजी कानून विभाग, संबलपुर विश्वविद्यालय, ओड़िशा, रेशमा सिंह, एसोसिएशन ऑफ एडवोकेसी एंड लीगल इनिशिएटिव ट्रस्ट (एएएलआई), डॉ. वंदना सिंह, वरिष्ठ स्थायी वकील, झारखंड सरकार शामिल थे।

झालसा के उप सचिव मनीष मिश्र ने दुनिया भर के विभिन्न देशों के मुस्लिम व्यक्तिगत कानूनों के बारे में जानकारी दी।

इस दौरान शैक्षणिक दिग्गज डॉ. प्रियंका धर, सहायक प्रोफेसर एचएनएलयू रायपुर, डॉ. रवींद्र कुमार पाठक, सहायक प्रोफेसर एनयूएसआरएल, राँची और डॉ. सुबीर कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर, एनयूएसआरएल, राँची ने भी मुस्लिम महिलाओं के समसामयिक मुद्दों पर प्रकाश डाला। वर्तमान स्थिति को हल करने के लिए सबसे उपयुक्त सुझाव दिया।

इस कार्यक्रम में मुसलमानों के लिए संहिताबद्ध व्यक्तिगत कानून, समाज में महिलाओं की अविकसित स्थिति, राजनीतिक पूर्वाग्रह को अलग रखते हुए नए कानूनों की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

इस कार्यक्रम का समापन डॉ सुबीर कुमार के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ

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