रिपोर्ट : पंकज सिन्हा
पेटरवार (ख़बर आजतक) : पेटरवार प्रखंड अंतर्गत बुंडू पंचायत स्थित आदिवासी छात्रावास में आदिवासी छात्रों को शिक्षा से जोड़ने के लिए 2002 में झारखंड के तत्कालीन सरकार की ओर से अत्याधुनिक सुबिधाओं से युक्त 100 बेड का आदिवासी छात्रावास का निर्माण किया गया था। वही छात्रावास में बोकारो जिले के पेटरवार, कसमार ओर जरीडीह प्रखंड के सुदूरवर्ती इलाके अरजुवा, मेरुदारु, सोनपुरा, त्रियोनाला, पुतकडीह, ओरदाना, मायापुर, जरीडीह, चाँपि सहित अन्य क्षेत्र के आदिवासी छात्र पठन -पाठन करने के लिए छात्रावास में रहते है। वही छात्रावास वर्तमान समय मे बेरुखी का दंश झेल रहा है जबकि छात्रावास पूरी तरह से जर्जर हो गया है।
वही इसमे 100 छात्रों के रहने केलिए 32 कमरे, एक मीटिंग हॉल, एक बड़ा किचन, 16 बाथरूम ओर शौचालय का निर्माण किया गया था। वहीं 21 वर्षो के अंतराल के अनदेखी के कारण काफी जर्जर हो गया है। मूलभूत सुविधाओं के कारण कई छात्र पढ़ाई भी छोड़ कर चले गए है। वहीं छात्रावास में राह रहे छात्रों ने बताया कि छात्रावास में बिजली, पानी, लाइब्रेरी, कम्प्यूटर हॉल सहित अन्य मूलभूत सुविधाओ का अभाव है। वहीं आदिवासियों के दुख को दूर करने वाला सरकार झारखंड में बनी मगर आदिवासी छात्रावास को किसी तरह का कोई सुविधा नही मिल पाई। जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियो का आना जाना लगा रहता है सिर्फ अवशासन ही मिलता है ।
वहीं सदमा कला पंचायत के पूर्व मुखिया पंकज कुमार सिन्हा ने कहा कि पहले छात्रावास खपड़े का मकान होने के बावजूद इसका रख रखाव बहुत ही अच्छा हुआ करता था, छात्रावास में रहने वाले बच्चों के लिए छात्रावास के तरफ से ही भोजन की व्यवस्था हुआ करता था। मगर आज बहुत ही स्थिति खराब है बच्चे कैसे रह कर पढ़ाई कर रहे है, न खाने न पानी की सुविधा है न तो बिजली की, कमरे के सभी खिड़की टूटी पड़ी है, छत से पानी टपकता है, शौचालय की बात तो अजब है कैसे बच्चे जीवन यापन कर पढ़ाई कर रहे ये देखने की बात है पदाधिकारी नियुक्त है मगर पंद्रह या महीना में एक बार आते हैं। इनकी सुध लेने वाला कोई नही है। वहीं छात्रावास प्रभारी मसूद सोरेन ने बताया की छात्रावास की स्थिति बहुत ही जर्जर है 16 शौचालय मे मात्र दो शौचालय चालू है और पीने के पानी के लिए एक चापाकल पर बच्चे निर्भर है। बिजली की स्थिति बहुत ही ख़राब है।