रिपोर्ट : नितीश मिश्र
राँची(खबर_आजतक): सरना धुमकुड़िया भवन में शनिवार को 12:00 बजे से 3:00 बजे तक सरना धर्म कोड की मान्यता हेतू 30 दिसंबर के भारत बंद को जोरदार सफल बनाने का फैसला लिया गया। केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की की अध्यक्षता में संपन्न बैठक में आदिवासी सेंगेल अभियान, केंद्रीय सरना समिति, आदिवासी छात्र संघ, सरना धर्म समन्वय समिति (खूँटी), अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद आदि के प्रतिनिधि शामिल हुए।
इस दौरान फूलचंद तिर्की ने कहा कि जब 1951 की जनगणना तक आदिवासियों के लिए अलग धार्मिक कलम कोड था तो उसे काँग्रेस पार्टी ने क्यों हटाया और अब भाजपा जोर जबरदस्ती आदिवासियों को हिंदू का ठप्पा क्योँ लगाना चाहती है। अतः हमें पार्टियों और नेताओं से ज्यादा जनता और आंदोलन पर भरोसा करना पड़ेगा। बोडोलैंड आंदोलन की तरह जीत हासिल करना होगा। हाल के गुमला, लोहरदगा, खूँटी की बैठकों में भारत बंद के प्रति जनता का बहुत रुझान दिखा है। हमें सालखन मुर्मू की अगुवाई पर विश्वास और भरोसा है। हम जरुर सफल होंगे।
वहीं मुख्य अतिथि के रुप में शामिल पूर्व सांसद और सेंगेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि हम हर हाल में सरना धर्म कोड लेकर रहेंगे अन्यथा हमें जबरन हिंदू, मुसलमान, ईसाई आदि बनने को मजबूर होना पड़ेगा। यह हमारे अस्तित्व की जीवन रेखा है, मौलिक अधिकार है। भारत बंद जोरदार होगा चूँकि इस बार अनेक आदिवासी समाज ( मुण्डा, उराँव, हो, संताल, लोहरा आदि) का समर्थन मिल रहा है। अब तक हम आदिवासियों को धार्मिक आजादी से वंचित करने के लिए काँग्रेस और बीजेपी दोषी है। तब भी हमारा नारा है- जो सरना कोड देगा, आदिवासी उसको वोट देगा।
सालखन मुर्मू ने आगे कहा कि सरना आंदोलन बृहद आदिवासी एकता का आंदोलन है और भारत में आदिवासी राष्ट्र स्थापित करने का भी आंदोलन है।
आदिवासी छात्र संघ की तरफ से सुमित उराँव, मोनू लकड़ा, मनोज उराँव ने भारत बंद के समर्थन में अपने सार्थक विचार रखे। सेंगेल की तरफ से सुमित्रा मुर्मू, देवनारायण मुर्मू और चंद्र मोहन मार्डी ने विचार रखा। केंद्रीय सरना समिति की तरफ से संजय उराँव, प्रमोद एकका, भुनेश्वर लोहरा, अमर तिर्की, चंदन पाहन ने विचार रखा। सरना धर्म समन्वय समिति की तरफ से बिरसा कंडीर (खूँटी) ने भारत बंद का समर्थन किया।
इस बैठक में सोहन कच्छप, अमित टोप्पो, नोवेल टोप्पो, बालकु उराँव, निर्मल पाहन, घनश्याम टुडू आदि शामिल थे।
इस बैठक में मूल सुझाव आया कि गाँव- समाज के आदिवासियों को भारत बंद के लिए जगाना, जोड़ना और खड़ा करना होगा ताकि सभी लोग अपने-अपने गांव के पास जत्था बनाकर रेल और रोड चक्का जाम कर सकें। 30 दिसंबर के पहले विभिन्न स्थानों पर मशाल जुलूस निकालना और भारत बंद के लिए प्रचार प्रसार और दीवार लेखन आदि भी करना है।