छात्र अपने उपलब्धियों से संतुष्ट होने के बजाए आगे बड़े लक्ष्यों के लिए प्रयासरत रहें: कुलाधिपति
नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): आरयू का 37वाँ दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ। इस दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि कुलाधिपति डॉ. सी.पी. राधाकृष्णन और विशिष्ट अतिथि केंद्रीय कृषि और जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने पारंपरिक भारतीय परिधान में आये छात्र छात्राओं को स्वर्ण पदक और उपाधि प्रदान किया। साथ ही अन्य छात्रों को कुलपति ने उपाधि प्रदान की। इस दीक्षांत समारोह में कुल 4043 छात्रों को उपाधि प्रदान की गई।
इस दौरान मुख्य अतिथि कुलाधिपति तथा विशिष्ट अतिथि अर्जुन मुंडा के आगमन पर कुलपति तथा विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने परंपरा और शंख ध्वनि के साथ उनका स्वागत किया। साथ ही द्वीप प्रज्जवलित तथा पीएफए विभाग के छात्रों द्वारा राष्ट्रगान और कुलगीत प्रस्तुति के बाद कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
कुलपति ने अपने अभिभाषण की शुरूआत तैत्तिरीय उपनिषद् से ली गई आरयू के आदर्श वाक्य तेजस्विनावधीतमस्तु के उल्लेख से किया और कहा कि इसका अर्थ हमारे विद्यार्थी और शिक्षक विद्या प्राप्ति कर अपनी बुद्धी को तीक्ष्ण बनाते हुये समर्थ बनेंगे। उन्होंने विश्वविद्यालय परिवार की ओर से कुलाधिपति तथा अतिथियों का अभिनंदन करते हुए सभी छात्रों प्राध्यपाकों को इस अवसर पर शुभकामनाएँ दीं।
आरयू कुलपति ने कहा कि राँची विश्वविद्यालय शैक्षणिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए प्रतिबद्ध है। राँची ,खूँटी, सिमडेगी, गुमला, लोहरदगा जिलों में उच्च शिक्षा के दायित्वों को राँची विश्वविद्यालय पूरा कर रहा है। आरयू झारखण्ड का पहला विश्वविद्यालय है जिसने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया है। छात्रों की सुविधा के लिए कई सारे कॉमन सर्विस सेंटर खोले गये हैं, साथ ही क्षेत्रिय और विदेशी भाषाओं की पढ़ाई, खेल-कूद, प्रोफेशन तथा वोकेशनल कोर्सेज के लिए देश के बड़े प्रष्ठिानों के साथ एमोयू कर हम निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। शोध गंगा पर शोध को अपलोड किया जा रहा है ताकि बौद्धिक संपदा की चोरी न हो। उन्होंने उपाधि प्राप्त कर रहे छात्रों से कहा कि यह अवसर उपलब्धि के साथ ही आगे राज्य, राष्ट्र, समाज के लिए प्रतिदान देने की जिम्मेवारी भी है।
वहीं मुख्य अतिथि कुलाधिपति ने जोहार के साथ सबों को शुभकामनायें देते हुए कहा कि आरयू के इस दीक्षांत समारोह में पहली बार केंद्रीय कृषि और जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुण्डा भी उपस्थित हैं। उन्होंने कहा कि भारत के युवा अपने ज्ञान के बल पर विश्व भर में हर जगह अपना स्थान बनाये हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि राँची विश्वविद्यालय के आप युवा अपने माता पिता, झारखंड और देश का नाम रौशन करेंगे। उन्होंने डॉ. कलाम की बातों का उल्लेख करते हुए कहा कि आप छात्र अपनी उपलब्धियों से संतुष्ट होने के बजाए आगे निरंतर बड़े लक्ष्यों को तय कर उसके लिए प्रयासरत रहें तभी हम 2047 में विकसित भारत का सपना पूरा करेंगे।
इस दौरान विशिष्ट अतिथि केंद्रीय कृषि और जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुण्डा ने कहा कि दीक्षांत समारोह का मूल उद्देश्य हमें अपनी बौद्धिक क्षमता से विश्व को परिचीत कराना भी है। 2047 में हमें विकसित भारत बनाना है हमें अभी से ही भविष्य की जरूरतों के लिये प्लान कर काम करने की आवयश्यकता है। झारखंड में सीबीएसइ 740 प्लस टू विद्यालय खोले जाएँगे। उन्होंने कहा कि आरयू झारखण्ड में शिक्षा, जनजातीय भाषा से लेकर प्रत्येक क्षेत्र में बहुत अच्छा काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि कई बार झारखण्ड के इस सबसे पुराने विश्वविद्यालय का नाम बदलने का भी प्रस्ताव आया पर मैने मना कर दिया क्योंकि राँची और राँची विश्वविद्यालय का अपना एक अलग ही स्पंदन है। साथ ही उन्होने सभी को शुभकामनाएँ दी।
इस अवसर पर आरयू के परीक्षा नियंत्रक डॉ आशीष झा, डेप्टी र्राजस्द्रार डॉ प्रीतम कुमार, डीएसडब्ल्यू डॉ सुदेश साहू, कुलानुशासक डॉ मुकुंद मेहता, सीसीडीसी डॉ प्रकाश झा आदि उपस्थित थे।
इस दीक्षांत समारोह कार्यक्रम का संचालन आरयू कुलसचिव डॉ. बी. नारायण तथा डिप्टी डायरेक्टर वोकेशनल डॉ. स्मृति सिंह ने किया।