पेटरवार: पेटरवार आस्था का महापर्व छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय में चना दाल, कद्दू (लौकी) की सब्जी और अरवा चावल का प्रसाद ग्रहण कर शुरू किया जाता है। छठ महापर्व की महिमा अपार है। यानी कि छठ पूजा के पहले दिन नहाए-खाए और आखिरी दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसके बाद पारण होता है। सूर्य की उपासना का त्योहार छठ पूजा का शुभारंभ होता है। स्वयं और परिवार के उत्तम मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए छठ पूजा भारत भर में मनाई जाती है।
पूरे घर की साफ़-सफाई के साथ-साथ तामसिक खाद्य पदार्थ माने जाने वाले लहसुन और प्याज को भी कद्दू भात के अवसर पर खाना वर्जित किया जाता है। कद्दू-भात के अवसर पर हर घर में नहा-धोकर बिना लहसुन प्याज के लौकी की सब्जी, चना की दाल और अरवा चावल पकाए जाते हैं। माना जाता है कि व्रती के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए खरना के एक दिन पहले लौकी की सब्जी और उसके अन्य व्यंजन तैयार किये जाते हैं
परिवार को रोगों और समस्याओं से बचाव और उन्हें लंबी उम्र और बढ़िया स्वास्थ्य देने की प्रार्थना के लिए सूर्य की उपासना करते हैं। इसलिए इस विशेष दिन को कद्दू भात कहा जाता है। कद्दू भात के दिन परिवार दोस्त एवं आसपास के लोग छठवृतियों के घर जाकर कद्दू भात प्रसाद खाते हैं। उत्तम स्वास्थ्य के लिए पूजा के आरंभ में लौकी खाई जाती है।