गोमिया झारखण्ड बोकारो

छात्र नेता अफजल दुर्रानी ने विधानसभा अध्यक्ष को लिखा पत्र, सी पी सिंह पर कार्रवाई की मांग


गोमिया : भाजपा विधायक द्वारा मुस्लिम समाज को ‘जिहादी’ कहे जाने पर जननेता अफजल दुर्रानी ने जताई कड़ी आपत्ति — बोले, यह बयान संविधान की आत्मा और लोकतंत्र की गरिमा का अपमान है

झारखंड की राजनीति उस समय विवादों के केंद्र में आ गई जब 17 अप्रैल 2025 को भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक श्री सी.पी. सिंह ने मीडिया के माध्यम से संपूर्ण मुस्लिम समाज को ‘जिहादी’ करार दिया। इस बयान पर प्रदेशभर में तीव्र प्रतिक्रिया देखी जा रही है। छात्र नेता अफजल दुर्रानी ने इस टिप्पणी को “गंभीर, दुर्भावनापूर्ण और संविधान विरोधी” बताते हुए तीखी आलोचना की है।

अफजल दुर्रानी ने कहा यह महज़ एक बयान नहीं, बल्कि हमारे संविधान की मूल भावना पर सीधा प्रहार है। जब कोई जनप्रतिनिधि, जो संविधान की शपथ लेकर सत्ता में बैठता है, उसी संविधान में आस्था रखने वाले नागरिकों को ‘जिहादी’ कहता है, तो यह केवल मुसलमानों का नहीं, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक आत्मा का भी अपमान है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत की आज़ादी की लड़ाई से लेकर राष्ट्र निर्माण तक, मुस्लिम समाज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अशफाक उल्ला खां, अब्दुल हमीद, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जैसे नाम इस देश की विविधता और समर्पण के प्रतीक हैं। ऐसे में किसी समुदाय पर सामूहिक टिप्पणी करना न केवल अनुचित, बल्कि आपराधिक भी है, उन्होंने विधायक पर निम्न कानूनी धाराओं के तहत कार्रवाई की मांग की:

  1. धारा 153A – वर्गों के बीच वैमनस्य फैलाना
  2. धारा 295A – धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर आहत करना
  3. धारा 505(2) – समुदायों के बीच घृणा फैलाना
  4. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 – जनप्रतिनिधि की अयोग्यता

प्रमुख मांगें: विधानसभा अध्यक्ष इस बयान की सार्वजनिक रूप से निंदा करें।

विधायक की सदस्यता समाप्त कर विशेषाधिकार समिति को मामला सौंपा जाए।
विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से इस विषय पर चर्चा हो।
राज्य सरकार अल्पसंख्यकों की गरिमा की रक्षा के लिए त्वरित कदम उठाए।
अंत में श्री दुर्रानी ने कहा कि झारखंड के युवाओं, बुद्धिजीवियों, सामाजिक संगठनों, पत्रकार साथियों और सभी लोकतंत्रप्रिय नागरिकों से अपील करता हूँ कि हम सभी मिलकर संविधान की गरिमा और सामाजिक सौहार्द्र की रक्षा के लिए खड़े हों। यह मामला किसी एक समुदाय का नहीं, बल्कि हमारे लोकतांत्रिक ढांचे और साझा संस्कृति की आत्मा से जुड़ा है। मैं राज्य सरकार से आग्रह करता हूँ कि वह इस मामले को गंभीरता से ले और त्वरित एवं प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करे, ताकि भविष्य में कोई जनप्रतिनिधि इस तरह की असंवेदनशील भाषा का प्रयोग करने से पहले सौ बार सोचे। हम सबका कर्तव्य है कि मिलकर नफ़रत की राजनीति को असफल करें और झारखंड को एक समावेशी, शांतिपूर्ण और संविधानसम्मत राज्य बनाए रखें।

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