राँची (ख़बर आजतक): चार वर्ष के कार्यकाल मे हेमन्त सोरेन की सरकार ने दलित और महिलाओं के समस्याओ की घोर अवहेलना किया है तथा संवैधानिक अधिकारो से भी वंचित करने की साजिश रची है जिसका ही परिणाम है कि आज तक (अनु.जाति आयोग) का गठन नही किया गया और ना ही अध्यक्ष फ का मनोनयन ही किया गया साथ ही साथ महिला आयोग मे भी अध्यक्ष का मनोनयन नही करना सरकार की दलित और महिला विरोधी कुत्सित भयावह चेहरा का पर्दाफाश होता है उपरोक्त बाते आज झारखंड बचाओ मोर्चा के केंद्रीय संयोजक सह पूर्व विधायक प्रत्याशी आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने कही जिसकी जितनी निंदा कि जाय कम है । श्री नायक ने आगे कहा कि हेमन्त सरकार भी भाजपा के नक्शे कदम पर चल रही है उसकी प्राथमिकता गो सेवा आयोग एंव धार्मिक न्यास परिषद जैसे आयोगो की है गाय, मन्दिर उसकी पहली प्राथमिकता है और दलित-महिला उसकी प्राथमिकता सूची में नही है । आज दलित और महिलाओं के उपर अत्याचार,व्याभिचार,हत्या,बलात्कार की घटना ओं में अप्रत्याशित वृध्दि हुई है और सरकार धृतराष्ट्र की तरह आंखें मुंद कर बेपरवाह बनी हुई है जिसकी जितनी निंदा की जाय कम है ।
श्री नायक ने राज्य के मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन सरकार से हठधर्मिता छोड़ने का मांग करते हुए कहा कि वे समाज के अंतिम पायदान में बैठे दलित और महिलाओं की उपेक्षा करने की राजनिति करना बंद करे और राज्यहित कमजोर वर्ग के हित मै तत्काल रुप से महिला एंव अनु.जाति आयोग का गठन कर अध्यक्षो का मनोनयन कर सुचारू रूप से आयोग को चलाने का काम किया जाय ताकि दलित और महिलाओं को त्वरित न्याय मिले सके ।