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दिशोम बाहा सारहुल परब झारखंडी संस्कृति की पहचान : बबीता देवी


कसमार (रंजन वर्मा): दिशोम बाहा सारहुल परब के अवसर पर गुरुवार को कसमार एवं पेटरवार प्रखंड के कई गांवों में सरहुल महोत्सव का आयोजन किया गया। मेढ़ा गांव में संथाल धोरोम संसार गांवता की ओर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर आदिवासी महिला एवं पुरुष पारंपरिक सारहुल संथाली गीतों की धून पर खूब थिरके।

गोमिया की पूर्व विधायक बबीता देवी भी आखड़ा में महिलाओं के साथ नृत्य की। इससे पूर्व मांझी नायके ‌से सखुआ फूल देकर आशीर्वाद लिया और सरहुल थान में मत्था टेका। इस दौरान उन्होंने कहा कि सारहुल झारखंड का सबसे पवित्र त्योहार है। सबसे मजबूत लंबा और अधिक समय तक जीवित रहने वाले सखुआ वृक्ष एवं धरती माता की पूजा होती है।‌ जिससे यह प्राणी जगत संचालित है। सारहूल त्योहार से हमें आने वाले कृषि कार्य समय के लिए कितने मात्रा में पानी बरसेगा इसका भी अंदाजा लगाकर पर्याप्त जलवृष्टि की याचना प्रकृति से करते हैं। कार्यक्रम में मुखिया अमरेश कुमार महतो, उपमुखिया पंचानन महतो, सनातन महतो, मिथलेश महतो, महेश शर्मा, आदि भी पंहुचे थे। मौके पर आयोजन कमेटी के इन्द्रनाथ मरांडी, संतोष टुडू, दिनेश मुर्मू, दिनेश मांझी, रामप्रसाद मरांडी, सुलेखा टुडू, दशमी देवी, पुष्पा देवी, नरेश महतो आदि मौजूद थे।

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