निजी विद्यालयों के धैर्य का इम्तिहान न ले सरकार: आलोक दूबे
नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): आरटीई के तहत निजी विद्यालयों की मान्यता एवं यूडायस कोड को लेकर झारखण्ड सरकार के सचिव द्वारा निजी विद्यालयों को बंद करने की चेतावनी के खिलाफ पासवा का एक दिवसीय महासम्मेलन सोमवार को चतरा कॉलेज मल्टीपरपस हॉल में प्रदेश पासवा अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।
इस महासम्मेलन का उद्धघाटन मुख्य अतिथि पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद, झारखण्ड सरकार के श्रम नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास मंत्री सत्यानन्द भोक्ता, प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे, महासचिव नीरज सहाय, उपाध्यक्ष बिपीन कुमार,संजय प्रसाद, जिला परिषद अध्यक्ष ममता देवी,पासवा के चतरा जिला अध्यक्ष प्रवीण प्रकाश सिंह, महासचिव नेसार अंसारी,बच्चन पाण्डेय, आदित्य गुप्ता ने संयुक्त रूप से किया। इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत गान संगीता सिन्हा एवं मेघाली सेन गुप्ता के नेतृत्व में शिक्षकों द्वारा किया गया। चतरा पासवा ने अतिथियों का स्वागत 51 किलो के माला एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। इस महासम्मेलन में चतरा जिला से लगभग 1000 से अधिक निजी विद्यालयों के प्रिंसिपल, डायरेक्टर एवं शिक्षक गण उपस्थित थे।
इस महासम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद ने कहा कि पूरे भारतवर्ष में राज्य सरकार अपने अपने प्रदेशों में स्कूल संचालित करती है। झारखण्ड में सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई नहीं होती थी , केन्द्र सरकार नौकरी देने के वायदे में विफल हो गई थी इसलिए पिछली राज्य सरकार ने कानून में संशोधन कर निजी विद्यालयों को बन्द करने की साज़िश रची थी ताकि पढ़ाई-लिखाई बन्द हो जाए और कोई नौकरी की बात नां करें। वर्तमान सरकार रोजगार सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि राज्य सरकार शिक्षा के अधिकार कानून को अविलम्ब निरस्त कर देश में चल रहे मूल आरटीई कानून लागू करेंगे अन्यथा पासवा आन्दोलन करने को कटिबद्ध होगी जिसकी जवाबदेही सरकार की होगी। सैयद शमायल अहमद ने झारखण्ड पासवा को निर्देशित किया है कि राज्य के 40 हजार से अधिक गैर मान्यता प्राप्त निजी विद्यालय राज्य सरकार के फरमान के खिलाफ 28 जुलाई को प्रिंसिपल, डायरेक्टर,शिक्षक, कर्मचारी काला बिल्ला लगाकर राज्य सरकार के निर्णय का व्यापक विरोध करेंगे।
इस महासम्मेलन के उद्धघाटन कर्ता झारखण्ड सरकार के श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास मंत्री सत्यानन्द भोक्ता ने कहा कि गाँव में गरीबों के लिए निजी विद्यालय अच्छी शिक्षा देते हैं, ऐसे अभिभावक जिन्होंने अभाव में शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाये वैसे अभिभावक सपनों के साथ अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा दिलाते हैं ताकि आगे चलकर अपने समाज, प्रांत, शहर, माता पिता का नाम रौशन कर सकें। उन्होंने कहा कि गांवों-कस्बों में जो स्कूल चल रहे हैं उनके योगदान को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। निजी विद्यालयों की समस्यायों को दूर करने का पूरा प्रयास किया जाएगा। इस दौरान मंत्री सत्यानन्द भोक्ता ने कहा कि 25 जुलाई को कैबिनेट की बैठक में प्राइवेट स्कूलों की समस्यायों को रखूंगा और अपनी तरफ से पूरा प्रयास करुँगा।
इस महासम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा कि निजी विद्यालयों को धमकाना बन्द करे सरकार,75 वर्षों में निजी विद्यालयों ने कभी भी सरकार से कुछ नहीं मांगा है और नां ही कभी आन्दोलन ही किया। सरकार हमें मजबूर न करे वरना निजी विद्यालयों के 47 हजार प्रिंसिपल, डायरेक्टर, शिक्षक, कर्मचारी, अभिभावक, बच्चों ने अगर दहलीज पार कर दिया और आन्दोलन का मार्ग पकड़ लिया तो सरकार को गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि रघुवर दास सरकार से दो कदम आगे चल रही है शिक्षा विभाग और शिक्षा सचिव जो अच्छे संकेत नहीं हैं। सरकार प्राइवेट स्कूल और सरकारी स्कूलों के पठन पाठन का मूल्यांकन कर ले पता चल जाएगा सरकारी स्कूलों की स्थिति क्या है। सीमित संसाधन में गाँव कस्बों में स्कूल चलते हैं जहाँ गरीब बच्चे शिक्षा लेते हैं जबकि सरकारी स्कूलों में मिड डे मिल खाने भी बच्चों को अभिभावक नहीं भेजते हैं क्योंकि उन्हें डर बना रहता है मध्याह्न भोजन में छिपकली भी मिल सकता है। आलोक दूबे ने कहा कि 28 जुलाई को राज्य सरकार के निर्णय के खिलाफ विरोध दर्ज किया जाएगा।
इस महासम्मेलन के संयोजक सह प्रदेश महासचिव नीरज सहाय ने कहा कि चतरा से उठी आवाज़ झारखण्ड के कोने कोने तक पहुँचेगी।उन्होंने कहा कि हर जिले में शिक्षा के अधिकारी धमकी भरा पत्र भेज रहे हैं। विद्यालय के मान्यता हेतू सरकारी स्कूलों के लिए अलग कानून और निजी विद्यालयों के लिए अलग कानून ये नहीं चलेगा।