अनुसंधानकर्ता पर लगाया तथ्यों को छुपाने व आरोपी पक्ष को मदद करने का आरोप,डीजीपी को पत्र लिखकर मांगी इच्छामृत्यु
बोकारो ( ख़बर आजतक): पेट पर लात मारकर जबरन गर्भपात कराने व प्रताड़ना के मामले में न्याय नहीं मिलने पर शनिवार को एक युवती ‘न्याय दो या इच्छा मृत्यु’ लिखी तख्ती लेकर बोकारो एसपी के कार्यालय के बाहर धरना पर बैठ गई. युवती कसमार थाना क्षेत्र अंतर्गत खैराचातर निवासी मधुसूदन दे की पुत्री स्नेहा खुमारी है. युवती का आरोप है कि उन्होंने बेरमो महिला थाना में अपने पति सूरज दत्ता समेत ससुराल के अन्य सदस्यों पर प्राथमिकी दर्ज कराई है. उन पर जबरन गर्भपात कराने, जान मारने की कोशिश, अप्राकृतिक यौनाचार व दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज है. इस मामले में पुलिस उनके साथ न्याय नहीं कर रही है. खासकर मामले की अनुसंधानकर्ता (आईओ) सरिता गाड़ी आरोपी पक्ष यानी उसके ससुराल वालों को मदद कर रही है. इसके चलते पति को कोर्ट से जमानत मिल गई है. आईओ पर तथ्यों को छुपाने व सही अनुसंधान नहीं करने का भी आरोप लगाई है. युवती ने डीजीपी को ईमेल के जरिये पत्र लिखकर कहा है कि उन्हें कहीं से न्याय नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में वह हताश-निराश है. जीने की इच्छा नहीं रह गई है. इसलिए पुलिस उन्हें न्याय दे या फिर इच्छामृत्यु.
क्या है मामला
धरना पर बैठी स्नेहा ने बताया कि 19 सितंबर 2023 को उन्होंने महिला थाना, बेरमो में प्राथमिकी (संख्या 26/2023) दर्ज कराई थी. उनके साथ ससुराल वालों ने अमानवीय अत्याचार किया है। पति सूरज दत्ता बंद कमरे में जानवरों जैसा सलूक करते थे। जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध बनाते थे। कहते थे कि मनमर्जी नहीं करने दी गई तो जान से मार कर फेंक देंगे। कई बार अस्वस्थ अवस्था में भी जबरन अप्राकृतिक यौनाचार किया गया। वहीं, पति के साथ-साथ सास आशा दत्ता, ससुर बासुकीनाथ दत्ता और देवर प्रकाश दत्ता ने भी दहेज की मांग व अन्य बातों को लेकर मुझे तरह-तरह से प्रताड़ित किया, जिसका उल्लेख संलग्न प्रार्थमिकी में किया गया है।
बताया कि इसी क्रम में गर्भ ठहर जाने पर उसे गिराने का काफी दबाव बनाया। इंकार करने पर मारपीट की गई और पेट में लात मार कर बच्चे को गर्भ में ही मार दिया गया, उससे लगातार ब्लीडिंग होने लगी। एक जुलाई 2023 को बोकारो के एक निजी नर्सिंग होम में जबरन गर्भपात कराया गया। इसके बाद एक साजिश के तहत पति व सास-ससुर नींद की गोलियां अधिक मात्रा में खिलाने लगे। इससे मेरी स्थिति बिगड़ती गई। नाजुक स्थिति को देखते हुए मायके वाले 9 अगस्त 2023 को मायके लेकर आ गए। इसके बाद दिनांक 13 अगस्त 2023 को कसमार थाना में जाकर इसकी शिकायत की, जहां कसमार पुलिस ने 16 अगस्त 2023 को दोनों पक्षों को बुलाकर समझौतानामा बनाया। लेकिन ससुराल वालों की मंशा साफ नहीं थी, क्योंकि खरमास खत्म हो जाने के बार ले जाने की बात ससुराल वालों ने की और इस बीच साजिश रचकर 22 आगत 2023 को चास कोर्ट में उनके और मायके वालों के खिलाफ झूठी और मनगढ़ंत शिकायत दर्ज करा दी। इसके अलावा जिस दिन पहली बार शिकायत लेकर थाना गई थी, उसके दूसरे दिन 14 अगस्त 2023 को भी उनके खिलाफ एक शिकायत चास कोर्ट में दर्ज कराई गई। 19 सितंबर 2023 को जब बाध्य होकर मैंने महिला थाना, बेरमो में प्रार्थमिकी दर्ज कराई, उसके बाद 20 सितंबर 2023 को भी ससुराल वालों ने अपने बचाव में एक अन्य झूठी और मनगढ़ंत शिकायत हमलोग के खिलाफ चास कोर्ट में दर्ज करा दी है तथा मुझे और मेरे मायके वालों को मुकदमा वापस करने के लिए लगातार धमकी दी व दबाव बनाया। जब हमलोग नहीं झुके तो पुलिस को ही मैनेज कर लिया।
स्नेहा के अनुसार यह बात वह इस आधार पर दावे के साथ कह रही है कि इस केस की आईओ सरिता गाड़ी ने डॉ आरती शुक्ला से दिनांक 2 अक्टूबर 2023 को ही मेडिकल रिपोर्ट प्राप्त कर लिया था, लेकिन काफी मिन्नत के बावजूद दो महीने तक केस डायरी में उसे संलग्न नहीं किया। जब आग्रह करते थे तो खुलेआम पैसों की मांग की जाती थी। हमलोग पैसा देने में असमर्थ थे। अंततः केस डायरी में उसे संलग्न नहीं किया, जिसके चलते आरोपो पति को बोकारो कोर्ट से जमानत मिल गई। जमानत मिलने के बाद केस डायरी भेजा गया, लेकिन उसमें वास्तविक तथ्यों को छुपा दिया गया। आईओ ने 2 अक्टूबर को रिपोर्ट प्राप्त किया था, लेकिन डायरी में 30 नवंबर के उल्लेख किया है। आईओ ने डॉ आरती शुक्ला से रिपोर्ट प्राप्त किया, उसका वीडियो भी है। इससे यह साफ प्रतीत होता है कि आरोपी को मदद पहुंचाने के लिए आईओ ने ऐसा किया है। आईओ भी बार बार केस उठाने के लिए दबाव देती थी। इससे भी यह जाहिर होता है कि वह मुझे न्याय दिलाने की बजाय आरोपी के पक्ष में काम कर रही थी।
स्नेहा ने बताया कि पुलिस अधीक्षक, बोकारो से भी कई बार मिलकर इस मामले में न्याय की गुहार लगाई, लेकिन फिर भी न्याय नहीं मिल पाया। इसलिए अब मेरी जीने की इच्छा नहीं रह गई है। आरोपी ससुराल वालों ने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी है और पुलिस से न्याय नहीं मिल पा रहा है। मेरे पिता पिछले कई सालों से हार्ट और किडनी का पेसेंट हैं और उनका कहीं आना-जाना नहीं हो पाता है। उनका दवा-इलाज अभी भी चल रहा है और माँ भी हमेशा बीमार रहती है। स्नेहा ने कहा कि वह बिल्कुल लाचार हो गई है। वह तथा मायके वाले काफी हताश-निराश और दहशत में हैं। इसलिए पुलिस उन्हें अगर न्याय नहीं दे सकती तो उन्हें इच्छामृत्यु की इजाजत दे दे.
कोट
मामला अभी अनुसंधान में है. आईओ को बदल दिया गया है. एसडीपीओ को जांच के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है.
प्रियदर्शी आलोक , एसपी बोकारो