नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बुधवार को सीसीएल के उतरी कर्णपूरा क्षेत्र में केडीएच-पुर्णाडीह कोल हैंडलिंग प्लांट वर्चुअल रुप से शिलान्यास किया गया। प्रधानमंत्री जनजातीय गौरव दिवस के पुनीत अवसर पर भगवान बिरसा मुण्डा के जन्मभूमि खूँटी में उपस्थित थे। वहॉ उन्होंने ₹7200 करोड़ की विभिन्न नयी परियोजनाओं का उदघाटन एवं शिलान्यास किया। इसी के अंतर्गत प्रधानमंत्री ने सीसीएल के ₹442 करोड़ वाले इस डीएच-पुर्णाडीह कोल हैंडलिंग प्लांट का भी वर्चुअल रूप से रिमोट संयत्र के द्वारा किया। सीसीएल के लिए यह गौरव का दिन है। इस ऐतिहासिक क्षण पर सीसीएल के सीएमडी, डॉ. बी. वीरा रेड्डी प्रधानमंत्री के कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित थे। इस शिलान्यास स्थल पर सीसीएल के निदेशक तकनीकी (संचालन) राम बाबू प्रसाद, निदेशक तकनीकी (योजना/परियोजना), बी. साईराम, महाप्रबंधक, एन के, संजय कुमार, सम्मानित अधिकारीगण, यूनियन के प्रतिनिधिगण, जन प्रतिनिधिगण, सीआईएसएफ के अधिकारी आदि मौजूद थे।
ज्ञात हो कि भारत सरकार के ‘पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान’ के सिद्धांत को सीसीएल में समाहित करते हुए कोयला परिवहन में मेकेनाइज़्ड फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी की अवधारणा को मूर्त रुप दिया जा रहा है। फर्स्ट माइल रेल कनेक्टिविटी की दिशा में केडीएच-पुर्णाडीह कोल हैंडलिंग प्लांट एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगा जिसके तहत सीसीएल के केडीएच तथा पुर्णाडीह कोयला खदानों से उत्पादित कोयले को निकटतम रेलवे सर्किट तक ले जाने की व्यवस्था की जाएगी, जहाँ से इसे देश भर के ताप विद्युत संयंत्रों तथा अन्य उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाएगा। वर्तमान में इन खानों से कोयला टिपर द्वारा सड़क मार्ग से केडीएच रेलवे साइडिंग तक लाया जाता है।
इस संयत्र में रिसीविंग हॉपर, क्रशर, 15000 टन क्षमता के कोयला भंडारण बंकर और कन्वेयर बेल्ट सम्मिलित हैं, जिनकी सहायता से कोयले को 4000 टन भंडारण क्षमता के साइलो बंकर द्वारा रेलवे वैगनों में स्थानांतरित किया जाएगा। 7.5 मिलियन टन प्रति वर्ष क्षमता की इस परियोजना की लागत ₹442 करोड़ है।
यह एक क्लोज्ड-लूप, पूर्ण यंत्रीकृत प्रणाली है जो सड़क द्वारा परिवहन को समाप्त करके कोयले के प्रेषण में तेजी और दक्षता लाएगी और इस प्रकार से डीजल की खपत न्यूनीकृत करेगी। इस परियोजना के आरंभ होने पर धूल और वाहन जनित उत्सर्जन कम होगा, जिससे क्षेत्र के पर्यावरण में गुणात्मक सुधार होगा।
इस परियोजना का निर्माण कार्य लगभग दो वर्षों में संपन्न किया जाना प्रस्तावित है।