नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने रविवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए 4 फरवरी को आदिवासी एकता रैली को राजनीतिक से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि 4 फरवरी को आदिवासी एकता के बहाने अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर होने के डर से सरना इसाई भाई भाई की रैली निकालकर आदिवासियों एकता की हुँकार भर रहे थे। उन्होंने कहा कि मूल आदिवासियों की ज्वलंत मुद्दा सरना कोड कुर्मी को आदिवासी बनने से रोकने की लड़ाई को भटकाने वाला बताया एवं ईसाई आदिवासी नेता एवं हिन्दू आदिवासी नेता मूल आदिवासी जो वह हिन्दू अथवा इसाई नहीं है, प्राकृतिक पूजक आदिवासी जो रूढ़िवाती परंपरा संस्कृति को मानते हैं एवं सरल एवं सीधे होते हैं। उनको बरगला करके कभी हिन्दू तो कभी इसाई रैलियाँ में ले जाया जाता है जिसके कारण मूल आदिवासियों का अस्तित्व बचना मुश्किल हो गया है। इसाई आदिवासियों में कोई संकट आता है तो सरना इसी भाई-भाई नजर आने लगता है बाद में सरना धर्म को तुच्छ बताते हुए ईसाई धर्म में धर्मांतरण करते हैं।
उन्होने कहा कि हिन्दू आदिवासी अपना पेट पालने के लिए आदिवासी को हिंदू बताते हैं। इसाई सरना कोड के नाम पर घड़ियाली आ आँसू बहा रहे हैं। ईसाई मिशनरी आदिवासी एकता महारैली में मूल सरना आदिवासियों को पारंपरिक परिधान लाल पाड़ साड़ी, गमछा, बंडी पहनकर शामिल हुए। इससे आदिवासी समाज का परंपरा एवं संस्कृति का मुखौला उड़ा रहे थे और तो और धार्मिक आस्था से जुड़े सरना झंडा को भी नहीं छोड़ा। पूरे मोरहाबादी मैदान में सरना झंडा को लहरा रहे थे, आज मूल सरना आदिवासी राजनीति लोगों के हत्था चढ़ गया एवं ईसाई समर्थक आदिवासी नेता राजनीतिक फायदा के लिए सरना समाज को बेच दिया। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि आगामी दिनों में मूल सरना या तो ईसाइयों के हाथों मसले जाएँगे और ये दोनों ही आदिवासी को बोका बनाने का काम कर रहे हैं।