आज भले ही हम लोगों के साथ उनकी आत्मा ना हो परंतु उनका स्थूल शरीर हमारे साथ है: नवीन
,रिपोर्ट : अरविंद अग्रवाल
छत्तरपुर (खबर आजतक) : गुलाबचंद अग्रवाल महाविद्यालय परिवार के मुख्य अभिभावक परम आदरणीय,देवलोक गमनीय स्मृतीशेष सत्यदेव प्रसाद अग्रवाल की जन्मशती पर अपने अंतःकरण से श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं।
मानव धर्म में पूर्वजों का स्थान देव तुल्य माना गया है। माता-पिता और उनके जनक की श्रृंखला मानवता के विकास के पोषक रहे हैं ।इसलिए उनका योगदान मनुष्य के उत्थान में नींव की तरह है ।उनके लिए वर्तमान में स्थान होना ही चाहिए ,उनके नाम पर मूर्ति लगाना, संस्था बनाना या कोई आयोजन करना विरासत को संरक्षित रखने जैसा है। किंतु अपने चरित्र में उन्हें बसाना उत्तम समर्पण है। आज भले ही हम लोगों के साथ उनकी आत्मा ना हो परंतु उनका स्थूल शरीर हमारे साथ है, उनके व्यक्तित्व का आकर्षण और उपस्थिति का प्रभाव अब अक्षुण्ण स्मृति बन गये हैं। जीवन की आपाधापी को छोड़ चिरशांति की ओर प्रस्थान करने से पूर्व उन्होंने जिन लोगों के जीवन में आशा और उत्साह का संचार किया, उन लोगों के लिए उनकी स्मृति अब एक बेशकीमती विरासत है। उनका विराट व्यक्तित्व हमें सदैव नई दिशाओं में बढ़ाने के लिए प्रेरित करता रहेगा। अंत में… बिछड़े कुछ इस अदा से की रूत ही बदल गई,_
_इक शख्स ने सारे शहर कस्बे को वीरान कर दिया