झारखण्ड राँची

राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2025 के प्रावधानों पर अभाविप ने जताया विरोध, राज्यपाल से विधेयक पर सहमति न देने का आग्रह


नितीश मिश्रा, राँची

रांची (खबर आजतक): अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) झारखंड प्रदेश इकाई के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को राजभवन जाकर राज्यपाल संतोष गंगवार से शिष्टाचार भेंट की। प्रतिनिधिमंडल ने राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2025 में कुलपति नियुक्ति एवं विश्वविद्यालय संचालन से जुड़े प्रस्तावित प्रावधानों पर आपत्ति जताई और महामहिम से आग्रह किया कि वे इस विधेयक को स्वीकृति न दें।

प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में कहा कि यह विधेयक विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता, अकादमिक स्वतंत्रता, और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मूल सिद्धांतों के प्रतिकूल है। प्रतिनिधियों का कहना था कि विधेयक लागू होने की स्थिति में राज्य में उच्च शिक्षा का राजनीतिकरण बढ़ेगा और अकुशल प्रशासन को बढ़ावा मिलेगा।

प्रदेश मंत्री मनोज सोरेन ने कहा, “कुलपति की नियुक्ति योग्यता और अनुभव के आधार पर होनी चाहिए, न कि राजनीतिक हस्तक्षेप से। इसके लिए पारदर्शी प्रक्रिया और अकादमिक समुदाय की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है।” उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि प्रशासनिक प्रणाली को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने हेतु व्यापक संवाद होना चाहिए।

प्रस्तावित विधेयक के कुछ प्रावधानों को विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता में सीधा हस्तक्षेप माना जा रहा है, जिससे शिक्षा जगत में अकादमिक स्वतंत्रता पर संकट गहराने की आशंका है। कई शिक्षाविदों और विश्लेषकों ने भी यह आशंका जताई है कि अगर विश्वविद्यालयों के प्रशासन में अत्यधिक राजनीतिक दखल हुआ, तो इससे शैक्षणिक वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है।

इस मौके पर हेमन्त सोरेन ने सरकार की नीतियों पर निशाना साधते हुए कहा, “सरकार दावा कर रही है कि कुलपति/प्रतिकुलपति की नियुक्ति में पारदर्शिता रहेगी, लेकिन जब वह अपनी ही एजेंसियों जैसे जेपीएससी और जेएसएससी को सुचारू रूप से नहीं चला पा रही है, तो विश्वविद्यालयों की नियुक्ति प्रक्रिया पर भरोसा कैसे किया जाए? राज्य सरकार युवाओं को भ्रमित करने का कार्य कर रही है।”

राज्यपाल संतोष गंगवार ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरता से सुना और उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी चिंताओं पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाएगा।


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