रांची (ख़बर आजतक) : मुख्यमंत्री जी चुनाव घोषणा से पूर्व कम से कम सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों, महिला आयोग में अध्यक्ष, अनुसूचित जाति आयोग में अध्यक्ष, मानवाधिकार आयोग में अध्यक्ष का तो मनोनयन कर ही दे.उपरोक्त बाते आज आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी, विजय शंकर नायक ने मुख्यमंत्री को आज ईमेल भेजकर उक्त बाते कही l इन्होंने यह भी सीएम को ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि 4 वर्षो से अधिक दिनों तक सूचना आयुक्तों के मनोनयन नहीं होने से झारखण्ड में सूचना अधिकार कानून पूर्ण रूप से मृतप्राय हो गया है और राज्य के सभी विभागों के जन सूचना पदाधिकारी लोग आम जनता को सूचना नहीं देने का कार्य कर रहे है और सूचना आयोग भी ठप्प हो गया है l
श्री नायक ने आगे कहा कि उसी तरह महिला आयोग में भी विगत 5 वर्षो से महिला आयोग के अध्यक्ष नहीं रहने के कारण राज्य के उत्पीड़ित, शोषित, हिंसा के शिकार हुई महिलाओं को न्याय नहीं मिल पा रहा है जिस कारण महिलाओ में अत्याचार, व्याभिचार, शोषण उत्पीड़न की घटनाओं में वृद्धि हुई है l इसलिए राज्यहित में महिला आयोग में अध्यक्ष का मनोनयन आवश्यक ही नहीं अनिवार्य है ताकि महिलाओं को न्याय मिल सके ।
श्री नायक ने आगे यह भी कहा कि अनुसूचित जाति आयोग मे भी लगभग 5 वर्षो से अध्यक्ष का पद रिक्त रहने के कारण अनुसूचित जाति समाज के लोगो पर राज्य भर मे उत्पीड़िन, शोषण , जातिय हिंसा,छुआछूत के शिकार हुए इन वर्गो को न्याय नहीं मिल पा रहा है जिस कारण दलित वर्ग में अत्याचार, व्याभिचार, शोषण उत्पीड़न की घटनाओं में वृद्धि हुई है ।उसी तरह मानवाधिकार आयोग मे भी अध्यक्ष नही रहने के कारण मानवाधिकार कानूनो का घोर उल्लंघन हो रहा है इसलिए किन्तु परन्तु ना करते हुए ये राज्य के जनता से प्रत्यक्ष रुप से जुड़े आयोगो मे माननीय हेमंत सोरेन जी चुनाव आचार संहिता लागु होने से पूर्व इन आयोगो मे अध्यक्षो का मनोनयन कर दिया जाय ।