राँची (ख़बर आजतक): झारखंड के विकास के लिए पैसे दे रही है परंतु राज्य सरकार उसे पर क्या कर रही है, यह समझ से परे है।
जल जीवन मिशन के तहत भारत सरकार ने झारखंड को 10000 करोड रुपए दिए और आश्चर्य की है सरकार महज 3000 करोड रुपए खर्च कर पाई। सोचने वाली बात है कि 70 फ़ीसदी राशि खर्च करने में सरकार विफल रही। आखिर किस मुंह से राज्य सरकार के नुमाइंदे भारत सरकार पर आरोप लगाते हैं।
शिशुओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं, गर्भवती महिलाओं के पोस्टिक आहार हेतु, उनके बेहतर स्वास्थ्य हेतु भारत सरकार ने 397 करोड रुपए की राशि राज्य को प्रदान की है। यह भी एक बड़ी राशि है, जिसका उपयोग राज्य सरकार को बेहतर तरीके से करना चाहिए।
विगत 2 वर्षों में झारखंड में 89 प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोले गए हैं। जो बहुत बड़ी संख्या है। इन जन औषधि केंद्रों में 50 से 90 फ़ीसदी सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं। सबसे सुखद बात यह है कि बाजार में जो लोग यह अफवाह उड़ाते हैं कि जन औषधि केंद्र की दवाएं कारगर नहीं है। भारत सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जिन मानकों के तहत ब्रांडेड दवाइयां बनाई जाती हैं। उन्हें मानकों के तहत इन दवाओं का भी निर्माण किया जाता है। इसलिए इन दवाओं के उपयोग में कहीं से कोई परेशानी या समस्या नहीं है।
आयुष्मान भारत योजना के तहत आदरणीय नरेंद्र मोदी जी ने देश के नागरिकों को ₹500000 तक की मुफ्त स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया। इसके तहत झारखंड में 721 अस्पताल निबंधित किए गए हैं, जहां आयुष्मान कार्ड के माध्यम से उपचार किया जाता है। इतना ही नहीं कैंसर से संबंधित 593 प्रकार की उपचार प्रक्रिया को इसमें रखा गया है। ताकि कैसी भी समस्या हो, इस देश के आम लोग गरीब नागरिक आराम से अपना उपचार करा सकें।
पीएम कुसुम योजनाएं वैसी योजना है, जो किसानों को ऊर्जा और पानी की गारंटी देता है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए यह योजना लाई थी। इसके तहत 36 करोड़ की लागत से झारखंड में 36000 योजनाओं की स्वीकृति दी गई परंतु दुर्भाग्य है किस राज्य में 12000 योजनाओं पर ही काम हो पाया। राज्य सरकार की लापरवाही कहें या अनदेखी कहें कि कई योजनाएं अब तक लंबित पड़ी हुई है।