नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक) पूर्व सांसद रामटहल चौधरी ने कहा है कि अपने गठन के बाद से ही अनेक विकट चुनौतियों और समस्याओं से जूझ रहे झारखण्ड की अधिकांश समस्याओं की जड़ में लालफीताशाही, अदूरदर्शिता, स्वार्थी सोच और भ्रष्टाचार के मामले में नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स का गठजोड़ है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में विस्थापन, आरक्षण, नियोजन, भ्रष्टाचार और शोषण-उत्पीड़न ही झारखण्ड का असली दर्द है और सत्ता-सरकार द्वारा इसकी अवहेलना पूरी तरह गलत है।
इस दौरान रामटहल चौधरी ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के कुछ निर्णयों को झारखण्ड के लोगों की आवश्यकता के अनुरुप बताया पर साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार की गति बहुत धीमी है और उसके रस्ते में भ्रष्टाचार और अदूरदर्शिता के अनेक बैरियर लगे हैं।
पूर्व सांसद रामटहल चौधरी ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता के माध्यम से झारखंड के जनहित के मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए। इस प्रेस वार्ता में पूर्व सांसद ने स्थानीय लोगों और जनहित के मुद्दों की अनदेखी किए जाने पर आक्रोश व्यक्त करते हुए राज्य निर्माण के समय के अपने संघर्ष यात्रा के संस्मरणों को भी साझा किया। राज्य निर्माण के आंदोलनकारियों के मन में जो झारखंड राज्य बनने के बाद की अपेक्षाएँ थी उसकी अनदेखी किए जाने को लेकर जनप्रतिनिधियों को जागरुक रहने की अपील की। वहीं शुक्रवार को रामटहल चौधरी ने बिंदुवार जिन बातों को प्रेस के माध्यम से झारखंड सरकार से मांग की वो निम्न प्रकार से हैं :‐
(1) बहुत लम्बे संघर्ष के बाद 15 नवम्बर 2000 को भगवान बिरसा के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर एक अलग राजा के रुप में झारखण्ड राज्य अस्तित्व में आया जो बहुत से लोगों की शहादत और उनके संघर्ष का परिणाम है। जब अलग राज्य का सपने को भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पूरा किया तब हर झारखंड के प्रत्येक व्यक्ति के मन में अपने व राज्य के भविष्य को लेकर एक सुखद विचार था कि आने वाला दिन बेहतर होगा। हम भी विकास के रास्ते में चलकर आगे बढ़ेंगे परन्तु आज अलग राज्य के निर्माण के दो दशक से ज़्यादा समय बीत जाने के बाद भी वो सारे सपने अधूरे हैं। किसान फटेहाल है, युवा बेकार है और समाज का हर तबका महँगाई की मार झेल रहा है। झारखण्डवासियों के आखों तले हर तरफ अंधेरा है और वे 22 वर्षों से छला हुआ महसूस कर रहे है। अब उन्हें निराशा और भविष्य की चिन्ता सताने लगी है और प्राकृतिक संसाधनों जल, जंगल और जमीन की लूट से हर तबका अस्त है इतना ही नहीं, कोयता और बालू के लूट ने तो भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड़कर नया कीर्तिमान बनाया है।
(2) फिलहाल स्थानीय निकायों के चुनाव होने है जिसमें रांची नगर निगम भी शामिल है। इन चुनावों में समाज का पिछड़ा वर्ग और पहा के मूल निवासियों को आरक्षण दिया जाए ताकि स्थानीय निकायों में समाज का हर तबका को प्रतिनिधित्व मिल सके, जैसा मध्य प्रदेश में सभी का प्रतिनिधित्व माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के आलोक में दिया गया है। इस संबंध में झारखण्ड के मुख्यमंत्री ने भी घोषणा की थी परन्तु इसे अबतक लागू नहीं किया जा सका जो दु:खद है। इसे शीघ्र लागू किया जाये अन्यथा सरकार के प्रति अविश्वास की भावना पनप रही है।
(3) समाज के पिछड़े वर्ग झारखण्ड के निर्माण के बाद से ही आरक्षण के मामले में अपने आपको ठगा महसूस कर रहा है कि उसे उसका वाजिब हक नहीं मिला है इसलिए उसे 27% आरक्षण देकर शीघ्र लागू किया जाए।
(4)1931 के बाद कभी जातिगत जनगणना नहीं कराए गए जिससे किस जाति की कितनी संख्या है यह जानना काफी मुश्किल हो जाता है जिससे आरक्षण और विकास संबंधी योजनाओं को लागू करने का कोई ठोस आधार नहीं होता इसलिए जातिगत जनगणना कराया जाए।
(5)राज्य सरकार ने 1932 के आधार पर स्थानीयता को विधान सभा में पारित कर वाहवाही लूटी जिसे संभावना के अनुरुप माननीय उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि तकनीकी दृष्टिकोण से उसे दुरुस्त कर शीघ्र लागू किया जाए और स्पष्ट नियोजन नीति झारखंड के जनमानस की अपेक्षाओं के अनुरुप बनाया जाए साथ ही, राज्य में तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों की नियुक्ति में झारखण्ड के मूलवासियों को 80 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया जाए।
(6) जेपीएससी की नियमित परीक्षाएँ कराई जाए। रामटहल चौधरी ने कहा कि बाइस वर्षों में जेपीएससी की केवल दस परीक्षाओं का होना शिक्षित बेरोजगार युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। टेट पास अभ्यर्थियों नियुक्ति की प्रक्रिया को भी जल्दी पूरा किया जाए।
(7) अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे एचईसी हटिया के अधिकारियों और कर्मचारियों की मांगों के अनुरुप केंद्र सरकार पहल करे ताकि मदर इंडस्ट्रीज को बचाया जा सके।
(8)शहर में होल्डिंग टैक्स में भारी वृद्धि की जा रही है जबकि सुविधा कुछ भी नहीं है। इस वृद्धि को वापस लिया जाना चाहिए।
(9) राज्य में पूर्ण शराब बंदी लागू किया जाए।
(10) राज्य में नदी- नलों, गैर मजबूत जमीन, स्कूल-कॉलेज और सार्वजनिक जमीन की अवैध अतिक्रमण और फर्जी कागज के आधार पर खरीद-बिक्री बंद हो. साथ ही इस तरह की जमीन का सीमांकन कर वृक्षारोपण किया जाए साथ ही, सरकारी संस्थानों के लिए अधिग्रहण की गई भूमि का संस्थान के नाम पर वन्दोवस्ती किया जाए।
(11) झारखण्ड के किसानों की जमीन ऑनलाइन करने के नाम से कर शून्य कर दिया गया है। इस त्रुटि को ठीक करने के नाम पर अंचल कार्यालयों में भ्रष्टाचार का बाजार गर्म है। शिविर लगाकर इसे ठीक कराने में सरकार शीघ्र पहल करे।
इस अवसर पर पारसनाथ महतो, रुद्रनारायन महतो, राजीव रंजन सिन्हा, डॉ.प्रणव कुमार बब्बू,भीम महतो, शैलेंद्र मिश्र, रणधीर चौधरी, विजय दत्त पिंटू, संतोष दीपक, राकेश रंजन बबलू आदि उपस्थित थे।