झारखण्ड राँची राजनीति

सरना धर्म कोड और आदिवासी भाषाओं को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग

विजय शंकर नायक ने सांसदों से मॉनसून सत्र में उठाने की अपील की

राँची (ख़बर आजतक) : संसद के मॉनसून सत्र (21 जुलाई से 21 अगस्त 2025) में झारखंड के सांसदों को सरना धर्म कोड की मान्यता और नागपुरी, मुंडारी, कुड़ुख व हो भाषाओं को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग को प्राथमिकता से उठानी चाहिए। यह बातें आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने कही।

उन्होंने कहा कि यह केवल भाषाई या धार्मिक मांग नहीं, बल्कि आदिवासी मूलवासी समुदाय की पहचान, सम्मान और अधिकारों का सवाल है। यदि सांसद इस सत्र में इन मुद्दों को नहीं उठाते हैं, तो आदिवासी समाज उन्हें अपने क्षेत्र में बहिष्कृत करेगा।

श्री नायक ने कहा कि सरना धर्म लाखों आदिवासियों की आस्था का केंद्र है, जिसे आज तक अलग धर्म कोड नहीं मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। इसी प्रकार, नागपुरी, मुंडारी, कुड़ुख और हो जैसी भाषाएं समृद्ध हैं, पर उन्हें संविधान में स्थान नहीं मिला।

उन्होंने सरकार से आदिवासी भाषाओं के डिजिटलीकरण और राष्ट्रीय शिक्षण मिशन शुरू करने की मांग की। साथ ही जलवायु अनुकूलन कोष बनाने का सुझाव दिया ताकि आदिवासी क्षेत्रों में टिकाऊ कृषि, जल संरक्षण और वन पुनर्जनन को बढ़ावा मिले।

उन्होंने सांसदों से अनुरोध किया कि वे एकजुट होकर आदिवासी समुदाय के मुद्दों को संसद में उठाएं और झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को राष्ट्रीय पहचान दिलाएं।

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