प्रकृति के साहचर्य से ही स्वस्थ जीवन सुरक्षित विश्व संभव है- अमिताभ श्रीवास्तव
हमारी परंपरा ही वैज्ञानिक है – सूरज शर्मा
बोकारो (ख़बर आजतक): चिन्मय विद्यालय बोकारो में 47 वाॅ वार्षिक ज्ञान विज्ञान मेला परंपरा एवं आधुनिकता के मणिकांचन योग लिए सोल्लास संपन्न हुआ। कुल 20 स्टॉल में 450 से अधिक छात्रों ने प्रकृति एवं तकनीकी विषय पर अपनी वैज्ञानिक सोच पर आधारित सृजन क्षमता को प्रदर्शित किया। इस वर्ष का थीम था हार्मनी विद ’’नेचर फॉर वेल बिइंग’’ इसमे बच्चों ने प्रकृति संरक्षण इसका स्मयक उपयोग तथा भविष्य की तकनीकी , परंपरा का उपयोग एवं उससे आर्थिक लाभ प्रकृति का संरक्षन, इन सभी विषयों में तकनीकी एवं मॉडल के माध्यम से अपनी सृजनता का प्रदर्शन किया और दर्शकों की भारी भीड़ को यह संदेश देने सफल रहे कि प्रकृति के साहचर्य में हमारा जीवन हमारी सभ्यता और हमारी पृथ्वी सुरक्षित है और इन सब के लिए उपयुक्त तकनीकी तथा अपनी वैज्ञानिक परंपरा का अनुपालन आवश्यक है ।
यह प्रदर्शनी सुबह 10 बजे शुरू हुई इस उत्सव के मुख्य अतिथि थे अमिताभ श्रीवास्तव (अधिशासी निदेशक बोकारो इस्पात संयंत्र)। विद्यालय के छात्रों ने तिलक मिश्री अर्पित कर इनका स्वागत किया । तत्पश्चात विद्यालय के प्राचार्य श्री सूरज शर्मा ने उन्हें गुलदस्ता भेट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि थे – परम पुज्या स्वामिनी संयुक्तानंद सरस्वती(आचार्या चिन्मय मिशन), विश्वरूप मुखोपाध्याय (अध्यक्ष) , महेश त्रिपाठी(सचिव) , आर.एन.मल्लिक(कोषाध्यक्ष), सूरज शर्मा (प्राचार्य)। सभी अतिथियों ने मंत्रोच्चारण के साथ दीप प्रज्वलित किया। मुख्य अतिथि सहित सभी उपस्थित अभिभावकों का स्वागत करते हुए प्राचार्य सूरज शर्मा ने कहा कि चिन्मय विद्यालय निर्पेक्ष एवं शाश्वत ज्ञान परंपरा एवं मूल्य एवं वैज्ञानिक सोच को विकसित करने के लिए हमेशा ही प्रयत्नशील रहा है। देश और समाज में वैज्ञानिक मिजाज का निर्माण हो इसलिए प्रत्येक वर्ष विशाल ज्ञान-विज्ञान मेला का आयोजन किया जाता है जिसमे छात्र विज्ञान तर्क एवं सृजन क्षमता का परिचय देते हैं। इस महान आयोजन मे भाग लेनेपर मुख्य अतिथि सहित आप सभी का स्वागत करते हुए मुझे अपार हर्ष हो रहा है ।
मुख्य अतिथि श्री श्रीवास्तव स्वयं एक कुशल टेक्नोक्रेट प्रबंधक एवं वैज्ञानिक सोच से संपन्न महान व्यक्तित्व है । इनके दिग्दर्शन से निश्चित ही हमारे छात्रों को लाभ होगा। उन्होंने आयोजन के बारे में कहा कि इस वर्ष का विषय हार्मनी विद नेचर फाॅर वेलविइंग है । परंतु हमारी अपनी परंपरा ही प्रकृतिपरक है, प्रकृति से जुड़ी हुई और अति वस्तुनिष्ठ एवं वैज्ञानिक है । आवश्यकता इस बात की है कि आधुनिकता के साथ-साथ अपनी परंपरा को भरपूर जिएं इसका सदुपयोग करें तभी एक संतुलित एवं विकसित राष्ट्रीय बन पाएगा । मुझे पूरा विश्वास है कि यह विज्ञान मेला जागरूकता फैलाने में जरुर सफल होगा। मुख्य अतिथि श्री अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा कि इन छात्रों के वैज्ञानिक सोच वाली सृजनशीलता को देखकर मैं अचंभित हूं । मुझे अपने विद्यालय वाला जीवन याद आता है जब मैं स्वयं साइंस फेयर में अपने विद्यालय का कई बार प्रतिनिधित्व किया । उन्होंने कहा कि आज मानव के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया है, विश्व विनाश के कगार पर है, इसका एक ही कारण है कि हमनेे प्रकृति की उपेक्षा की है इसका अंधाधुंध दोहन किया है और अपना जीवन इससे बिलकुल अलग कर लिया है। प्रकृति माॅ है, मां के सम्मान पोषण करने में सक्षम है। इसलिए यह आवश्यक है और समय ही माॅग है कि हम प्रकृति के आंचल में लौट जाए । तभी हम सुरक्षित रह सकते हैं।
मुख्य अतिथि सहित सभी विशिष्ट अतिथि एक-एक स्टाॅल पर जाकर बच्चों से बातचीत कर उन्हें वैज्ञानिक दृष्टि को समझने की कोशिश करते दिखे।
इस बार एक विशिष्ट स्टाॅल लगाया गया- साहित्य एवं प्रकृति । बड़े-बड़े साहित्यकारों ने प्रकृति को किस प्रकार देखा है और सॅवारा है इसकी झलक यहां मिली ।
20 स्टाॅल के नाम
वर्ल्ड का कार्टून ऑन गुड हेल्थ, हेल्थ एंड वेल्थ , न्यूट्रिशन एंड वेल बीइंग, एवरी ड्रॉप काउंट्स , टयून योरसेल्फ टू टयून द नेचर, अडॉप्ट सस्टेनेबल लाइफस्टाइल फॉर बेटर फ्यूचर, से नो टू सिंगल युज प्लास्टिक , सस्टेनेबल एग्रीकल्चर डेवलपमेंट विद ए जीरो यूटिलाइजेशन आफ केमिकल फर्टिलाइजर्स एंड पेस्टिसाइड्स, रिसोर्स मैनेजमेंट फॉर फ्यूचर जेनरेशन , रिन्यूएबल एनर्जी सॉल्यूशन , इको सिस्टम बेस्ड अप्रोच फॉर सेल्फ रिलायंस विथ एंफसिस आॅन क्लाइमेट चेंज, नो योर इकोसिस्टम , सोशल एंड कल्चर प्रैक्टिस फॉर ए हेल्दी इकोसिस्टम, बिजनेस बैटल विद इंडियन हर्बल मेडिसिन , योगा फॉर वेल बीइंग, टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन फोर इकोसिस्टम एंड हेल्थ ,मदर नेचर थरू द आइज आफ लिटरेरी लीजेंड एवं वैदिक मैथमेटिक्स विषयो पर कक्षा नर्सरी से 11 वीं तक के छात्र छात्रो ने आकर्षक माॅडल बनाये और सभी को प्रभावित किया।
इस आयोजन के मुख्य संयोजक थे नरमेन्द्र कुमार , गोपाल चंद्रमुंशी , सोनाली गुप्ता, शैवाल गुप्ता ,संजीव कुमार मिश्रा एवं विकास परिधारिया, दिप्ती पारीक , कल्यानी सिहं , प्रिया राजीव, सुब्रत गुप्ता, देव ज्योती बाॅराल, केशव तिवारी ।