झारखण्ड राँची राजनीति

अपने हक़ अधिकार के प्रति सजग हो चूकी कुड़मी समाज : शीतल ओहदार

कुड़मी, महतो को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने व कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल करने की माँग को लेकर 20 सितंबर को तीन राज्यों में अनिश्चितकालीन रेल टेका शुरु करेगा टोटेमिक कड़मी समाज

नितीश_मिश्र

राँची(खबर_आजतक): टोटेमिक कुड़मी विकास मोर्चा का प्रेसवार्ता सोमवार को होटल गंगा आश्रम में संपन्न हुआ। इस प्रेसवार्ता में संबोधित करते हुए टोटेमिक कुडमी विकास मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कहा कि कुड़मी, महतो जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने एवं कुडमाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की माँग को लेकर आगामी 20 सितम्बर से झारखंड राज्य में मुरी रेलवे स्टेशन, गोमो रेलवे स्टेशन, नीमडीह रेलवे स्टेशन एवं घाघरा रेलवे स्टेशन, पश्चिम बंगाल राज्य में खेमासुली रेलवे स्टेशन एवं कुस्तौर रेलवे स्टेशन तथा ओड़िशा राज्य में हरिचन्दनपुर रेलवे स्टेशन, जराइकेला रेलवे स्टेशन एवं धनपुर रेलवे स्टेशन में तीनों राज्यों में संयुक्त रुप से अनिश्चितकालीन रेल टेका आंदोलन शुरु होगा, जिसमें हजारों हजार की संख्या में कुड़मी समाज के लोग अपने पारंपरिक वेशभूषा, छऊ नाच, पाता नाच, नटुवा नाच, घोड़ा नाच एवं झूमर नाच, ढोल – नगाड़े एवं गाजे-बाजे के साथ शामिल होंगे।

इस दौरान शीतल ओहदार ने कहा कि कुडमी समाज अब जाग चुकी है और अपने हक अधिकार के प्रति सजग हो चुकी है, अब कुडमी समाज अपने संवैधानिक अधिकार के लिए आर पार की लड़ाई लड़ेगा। उन्होंने कहा कि 18 सितम्बर से 22 सितम्बर तक चलने वाली संसद का विशेष सत्र में कुड़मी, महतो को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे केंद्र सरकार, उन्होंने कुडमी समाज के सांसदों को भी कहा कि कुड़मी, महतो को एसटी की सूची में शामिल करने की माँग को जोरदार तरीके से विशेष सत्र में उठाएँ।

शीतल ओहदार ने कहा कि 3 मई 1913 को प्रकाशित इण्डिया गजट नोटिफिकेशन नः550 2 मई 1913 में कुडमी जनजाति को एवोरिजनल एनिमिस्ट मानते हुए छोटानागपुर के कुड़मियो को अन्य आदिवासियों के साथ भारतीय उत्तराधिकारी कानून 1865 के प्रावधानो से मुक्त रखा गया तथा 16 दिसम्बर 1931को प्रकाशित बिहार – उड़िसा गजट नोटिफिकेशन नः 49 पटना मे भी साफ साफ उल्लेख किया कि बिहार – उड़िसा मे निवास करने वाले मुण्डा, उराँव, संथाल, हो, भुमीज, खड़िया, घासि, गौंड, काँध, कौरआ, कुड़मी, माल, सौरिआ और पान को प्रिमिटिव ट्राइव मानते हुए भारतीय उत्तराधिकारी कानून 1925 से मुक्त रखा गया। कुड़मी जनजाति को सेन्सस रिपोर्ट 1901के भोल्यम (1) में पेज 328-393 मे, सेन्सस रिपोर्ट 1911के भोल्यम (1) में पेज 512 मे, तथा सेन्सस रिपोर्ट 1921के भोल्यम (1) पेज 356-365 मे स्पष्ट रुप में कुड़मी जनजाति को अवोरिजनल एनिमिस्ट के रूप में दर्ज किया गया।

इस दौरान पटना हाईकोर्ट के कई जजमेंट में भी कुडमी को जनजाति माना है। इसके अलावे बहुत सारे दस्तावेज होने के बावजूद कुड़मी जनजाति को अनुसूचित जनजाति के सूची से बाहर रखा गया है, जिसके कारण आज यह जनजाति अन्य सभी जनजातियों से रोजगार शिक्षा के साथ-साथ राजनैतिक भागीदारी में अंतिम पायदान पर चला गया है।

उन्होंने कहा कि रेल टका आंदोलन ऐतिहासिक होगा। आदिवासी कुडमी समाज के केंद्रीय प्रवक्ता हरमोहन महतो ने कहा कि कुड़मि जनजाति का जो सामाजिक, सांस्कृतिक और मानवीक क्षति हो चुकी है उसकी तो भरपाई ही संभव न हो पाएगी। उन्होंने कहा कि कुडमी आदिकाल से आदिवासी था, है और आगे भी रहेगा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय जनजातिय मंत्री अर्जुन मुंडा कुडमी समाज के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री रहते 2004 में कुड़मी जनजाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध करने की अनुशंसा केंद्र सरकार को कर चुके हैं। अब वे केंद्र सरकार में जनजातीय मंत्री हैं उन्हें कुड़मीयों की इतिहास ज्ञात है, इसके बाद भी वे हमें अधिकार से वंचित कर रहे हैं जबकि देशभर के 16 जातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल कर दिए जिनका कभी जनजातीय इतिहास ही नहीं रहा है, अर्जुन मुंडा के पक्षपात रवैया से अब कुड़मी समाज बर्दाश्त नहीं करेगा।

इस प्रेसवार्ता में हरमोहन महतो, रामपोदो महतो,सुषमा देवी, दानी महतो, सखिचन्द महतो, क्षेत्रमोहन महतो, सोनालाल महतो,अजीत महतो, दीपक चौधरी, रावंती देवी,रबीता देवी, संदीप महतो शामिल थे।

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