डॉ. राजशरण शाही पुन: बनाए गए राष्ट्रीय अध्यक्ष
नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): डॉ. राजशरण शाही (उत्तर प्रदेश) और डॉ याज्ञवल्क्य शुक्ल (बिहार) देश के अग्रणी छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के क्रमशः राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय महामंत्री के रुप में सत्र 2023-24 हेतू पुनर्निर्वाचित हुए हैं। यह घोषणा गुरुवार को अभाविप केन्द्रीय कार्यालय (मुंबई) से की गई।
अभाविप के केन्द्रीय कार्यालय से गुरुवार को चुनाव अधिकारी डॉ. सी.एन. पटेल द्वारा जारी वक्तव्य के अनुसार उपरोक्त दोनों पदों का कार्यकाल एक वर्ष रहेगा एवं दोनों पदाधिकारी दिल्ली में 7, 8, 9 व 10 दिसम्बर को होने वाले 69वें राष्ट्रीय अधिवेशन में अपना पदग्रहण करेंगे।
डॉ. राजशरण शाही मूलतः उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले से हैं। राजशरण शाही की शिक्षा शिक्षाशास्त्र में पीएचडी तक हुई है। वर्तमान में वे बाबासाहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ में शिक्षाशास्त्र विभाग में सह-आचार्य के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने अब तक छह पुस्तकों का लेखन व संपादन किया है। अभी तक 109 से अधिक शोधपत्र एवं लेख राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं एवं संगोष्ठियों में रखे जा चुके हैं। साथ ही शिक्षा से जुड़े विषयों पर दैनिक पत्रों में राजशरण शाही के लेख प्रकाशित हुए हैं। वे प्रतिष्ठित भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में असोसिएट रहे हैं। 2017 में श्रेष्ठतम शिक्षक का योगीराज बाबा गंभीर नाथ स्वर्ण पदक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा प्रदान किया गया। उत्तर प्रदेश की विभिन्न शैक्षिक एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन संबन्धी महत्वपूर्ण समितियों के सदस्य भी हैं। शिक्षा व सामाजिक विषयों के गहन चिंतक व उत्तर प्रदेश में संगठन कार्य को आगे बढ़ाने में राजशरण शाही की महती भूमिका रही है। वे 1989 में विद्यार्थी जीवन से अभाविप के संपर्क मे हैं। शिक्षक कार्यकर्ता के रूप में अब तक गोरखपुर महानगर अध्यक्ष से लेकर गोरक्ष प्रांत अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आदि दायित्वों का निर्वहन राजशरण शाही कर चुके है। आगामी सत्र 2023-24 हेतु राष्ट्रीय अध्यक्ष के दायित्व पर पुनर्निर्वाचित हुए हैं। उनका निवास लखनऊ है।
डॉ याज्ञवल्क्य शुक्ल मूलतः झारखंड के गढ़वा जिले से हैं। उनकी शिक्षा राँची विश्वविद्यालय से भूगोल विषय में PhD तक हुई है। उनका शोध झारखंड के पलामू प्रमंडल में कोरबा जनजाति का सांस्कृतिक भूगोलीय अध्ययन विषय पर हुआ है। याज्ञवल्क्य शुक्ल ने नीलाम्बर- पिताम्बर विश्वविद्यालय से भूगोल विषय में परास्नातक में स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। याज्ञवल्क्य शुक्ल श्री जगजीत सिंह नामधारी महाविद्यालय, गढ़वा के निर्वाचित छात्रसंघ अध्यक्ष तथा राँची विश्वविद्यालय के निर्वाचित छात्रसंघ उपाध्यक्ष रहे हैं। वे वर्ष 2018 में भारत सरकार द्वारा आयोजित भारतीय युवा प्रतिनिधिमंडल की श्रीलंका यात्रा का प्रतिनिधित्व किया है। याज्ञवल्क्य शुक्ल विद्यालयी जीवन से ही परिषद के संपर्क में हैं तथा वर्ष 2009 से पूर्णकालिक कार्यकर्ता हैं। झारखंड के युवाओं को भ्रमित करने वाले षड्यंत्रों को परास्त कर आपने ‘जुटान’ जैसे विभिन्न सफल प्रयोगों से जनजातीय विद्यार्थियों को अवसर प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पूर्व में याज्ञवल्क्य शुक्ल ने राँची महानगर संगठन मंत्री, झारखंड प्रांत संगठन मंत्री, केंद्रीय कार्यसमिति सदस्य तथा बिहार क्षेत्र के क्षेत्रीय सह संगठन मंत्री जैसे महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन किया है। आगामी सत्र 2023-24 हेतू याज्ञवल्क्य शुक्ल राष्ट्रीय महामंत्री के दायित्व पर पुनर्निर्वाचित हुए हैं। अभी केंद्र पटना है।
झारखंड प्रदेश मंत्री सोमनाथ भगत ने कहा कि पूरे झारखंड व देश के लिए गर्व की बात है झारखंड का लाल आज पूरे देश के छात्र समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहा है, साथ ही छात्र विषयों पर अग्रणी भूमिका निभाते हुए छात्रों की हर समस्याओं का निराकरण हेतू कटिबद्ध है, आज पुनः निर्वाचन पर पूरे झारखंड प्रदेश के कार्यकर्ता गण बधाई देते हैं एवं पूरे झारखंड प्रदेश के कार्यकर्ता आज गर्व महसूस कर रहे हैं,
झारखंड प्रदेश मीडिया संयोजक दुर्गेश कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय महामंत्री क्रमशः डॉ.राजशरण शाही एवं डॉ.याज्ञवल्क्य शुक्ल जी पुनः निर्वाचन पर झारखंड के प्रत्येक सदस्यों में हर्षोल्लास व खुशी का माहौल है, पूरे झारखंड के लिए यह पल गौरव वाला है।
इस मौके पर बधाई देने वालों में झारखंड प्रांत प्रमुख पंकज सिंह, राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य विशाल सिंह, प्रदेश मिडिया संयोजक दुर्गेश कुमार, प्रादेशिक विश्वविद्यालय सहसंयोजक प्रणव गुप्ता, प्रदेश सह कोषाध्यक्ष शुभम् पुरोहित, विश्वविद्यालय सह संयोजक अनिकेत सिंह, राँची महानगर मंत्री रोहित, रवि अग्रवाल, जनजातीय कार्य प्रमुख राँची महानगर पवन नाग, शारदा, सोनी, कृपा, सौरव, सूर्यप्रताप इत्यादि मौजूद थे।