नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): पूर्व मंत्री, झारखण्ड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि 4 फरवरी 2024 को राजधानी राँची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में आयोजित आदिवासी एकता महारैली में केवल आदिवासी मुद्दों की बात होगी और उनसे जुड़े ज्वलंत मुद्दों के समाधान के लिए स्पष्ट रास्ता तैयार किया जाएगा। बंधु तिर्की ने कहा कि तीन-चार महीने के बाद लोकसभा चुनाव है और उसके बाद 2024 में ही विधानसभा चुनाव है और इसे देखते हुए भारतीय जनता पार्टी और उसके मुखौटे संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, वनवासी कल्याण केन्द्र, जनजाति सुरक्षा मंच जैसे संगठन सामने आ गए हैं। उन्होंने कहा कि तीन दिन पहले आयोजित डीलिस्टिंग रैली केवल चुनाव के मद्देनज़र आदिवासियों के ध्रुवीकरण का प्रयास है।
वरिष्ठ काँग्रेस नेता बंधु तिर्की ने कहा कि आदिवासियों की जमीन लूटी जा रही है और वे विस्थापन, शोषण और पलायन का शिकार हो रहे हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है जबकि उन्हीं आदिवासियों के नाम पर झारखण्ड का गठन किया गया था। उन्होने कहा कि आदिवासियों की शैक्षणिक और रोजगार की स्थिति पर भी डीलिस्टिंग रैली में ख़ामोशी रही और उन नेताओं ने यह भी नहीं बताया कि अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद द्वारा संचालित 72 विद्यालयों का अनुदान भाजपा सरकार ने क्यों बन्द किया ?
बंधु तिर्की ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी केवल पाकुड़ और जामताड़ा की डेमोग्राफी में बदलाव की चर्चा करने की बजाए व्यापक परिप्रेक्ष्य में पूरे राज्य की बात करे। उन्होंने कहा कि डीलिस्टिंग की माँग करने वाले लोगों को यह भी बताना चाहिए कि राजधानी राँची में ही चडरी, करमटोली, हातमा, हेहल, बनहोरा, पूरनकी रांची, हेसल, कमड़े जैसे क्षेत्रों में भी आदिवासियों की ज़मीन व्यापक पैमाने पर कैसे और किनके द्वारा लूटी जा रही है और वैसे लोगों के विरुद्ध रैली में एक शब्द भी क्यों नहीं बोला गया ?
बंधु तिर्की ने कहा कि आदिवासियों की डेमोग्राफी में नकारात्मक बदलाव पर भी रैली में कुछ नहीं कहना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि डीलिस्टिंग की मांग करनेवाले वैसे ही लोग हैं जिनकी विचारधारा जमीन लूटने वालों से मिलती-जुलती है और इसका सबसे बड़ा प्रमाण यही है की वैसे ज़मीन दलालों के विषय में एक शब्द भी नहीं कहा गया।
बंधु तिर्की ने कहा कि उन्होंने अपने पिछले संवाददाता सम्मेलन में दस्तावेजों के साथ 25-30 वैसे मामले की चर्चा की थी जहाँ जमीन लूटने वाले वास्तव में भाजपा से जुड़े नेता ही है अथवा वैसे लोगों के साथ सहानुभूति रखते हैं। उन्होंने कहा कि यह बात पूरी तरीके से गलत है कि 80 प्रतिशत मत्तांतरित लोगों ने अनुसूचित जनजाति के लिये दिये जाने वाले आरक्षण पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान में जाति के आधार पर आरक्षण का प्रावधान किया गया है न कि धर्म के आधार पर और इस बात को सभी लोगों को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि करिया मुंडा को यह बताना चाहिये कि आठ बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले सांसद के अतिरिक्त वह केन्द्रीय मंत्री और लोकसभा उपाध्यक्ष भी रहे लेकिन इस दौरान उन्होंने आदिवासियों के हित में ऐसा कौन-सा काम किया है जो बताया जा सके।
इस दौरान बंधु तिर्की ने कहा कि डीलिस्टिंग रैली केवल आदिवासियों में फूट डालने का प्रयास है और झारखण्ड के आदिवासी इस नियत को कभी भी सफल नहीं होने देंगे।
इस अवसर पर बोलते हुए आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के पूर्व अध्यक्ष पी. सी. मुर्मू ने कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार धारा 25 में अपनी इच्छानुसार धर्म को अपनाने का अधिकार है और उसपर सवाल खड़ा करना बिल्कुल गलत है। इस संवाददाता सम्मेलन में आदिवासी चिंतक लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा कि अगले 4 फरवरी को पूरे झारखण्ड के आदिवासी आदिवासी एकता महारैली में भाग लेंगे और यह ऐतिहासिक अवसर होगा जब रैली में आरएसएस विचारधारा वाले संगठनों को छोड़कर सभी आदिवासी संगठनों को बुलाया जाएगा जिसमें आदिवासियों की एकजुटता और उनकी माँग मुखरता से उठायी जाएगी। इस सम्मेलन में शिवा कच्छप भी उपस्थित थे।