झारखण्ड राँची

आदिवासी दिवस पर विशेष रिपोर्ट: संघर्ष से सफलता की कहानी – आईपीएस अधिकारी डॉ. सरोजिनी लकड़ा बनीं युवाओं की प्रेरणा

नितीश_मिश्र

राँची(खबर_आजतक): अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाता है। झारखंड में इस दिवस का विशेष महत्व है, जहां आदिवासी समाज की सांस्कृतिक विरासत, संघर्ष और उपलब्धियों को सम्मान दिया जाता है। इसी कड़ी में आइडियल एक्सप्रेस का यह प्रयास है कि ऐसे व्यक्तित्वों से समाज को रूबरू कराया जाए, जिन्होंने अपने जीवन से नई पीढ़ी को दिशा देने का कार्य किया है। इस विशेष अवसर पर हम आपको मिलवा रहे हैं एक ऐसे ही प्रेरणादायक व्यक्तित्व से आईपीएस अधिकारी डॉ. सरोजिनी लकड़ा से।

डॉ. सरोजिनी लकड़ा आज झारखंड की उन गिनी-चुनी महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने न सिर्फ प्रशासनिक सेवा में अपना स्थान बनाया बल्कि अपने संघर्षमयी सफर से हजारों युवाओं के लिए एक उदाहरण पेश किया।

एक छोटे से गाँव से निकलकर आईपीएस बनने तक का उनका सफर आसान नहीं था। सीमित संसाधन, सामाजिक चुनौतियाँ और आर्थिक तंगी के बीच उन्होंने शिक्षा को अपना हथियार बनाया।

डॉ. सरोजिनी लकड़ा का कहना है कि “सपने तभी पूरे होते हैं जब उन्हें पूरा करने की जिद हो। मैंने खुद से वादा किया था कि मैं न सिर्फ अपने परिवार बल्कि अपने समाज के लिए कुछ बनकर दिखाऊंगी।”

आज वे जहाँ भी कार्यरत हैं, वहाँ ईमानदारी, सख्ती और संवेदनशीलता के लिए जानी जाती हैं। आदिवासी समाज की बेटियों के लिए वे एक प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं। वे अक्सर समय निकालकर ग्रामीण इलाकों में जाकर बच्चियों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करती हैं।

इस आदिवासी दिवस पर डॉ. सरोजिनी लकड़ा की यह प्रेरणादायक कहानी हमें यह सिखाती है कि मेहनत, लगन और संकल्प के बल पर किसी भी मुकाम को पाया जा सकता है।

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